हिजाब पहनने पर कॉलेज में प्रवेश से फिर रोका गया, राहुल गांधी का ट्वीट- मां सरस्वती भेद नहीं करती

कर्नाटक के उडुपी जिले में स्थित कॉलेज में मुसलमान लड़कियों के हिजाब पहनकर आने का मामला थमता नजर नहीं आ रहा है. कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुर में एक सरकारी कॉलेज में तीसरे दिन एक बार फिर हिजाब पहनी मुस्लिम छात्राओं को प्रवेश करने से रोका गया. हिजाब को ड्रेस कोड में मान्यता नहीं देने के राज्य सरकार के फैसले के बावजूद माता-पिता के साथ हिजाब पहनकर पहुंचीं मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज में दाखिल होने से रोक दिया गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे बसंत पंचमी व मां सरस्वती से जोड़ते हुए तंज किया है.

राहुल गांधी ने ट्वीट कर यह कहा

हिजाब बवाल पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘हिजाब को छात्राओं की शिक्षा में बाधक बनाकर हम भारत की बेटियों का भविष्य लूट रहे हैं. मां सरस्वती सभी को ज्ञान देती हैं. वह भेद नहीं करतीं.’

बता दें कि मुस्लिम छात्रा हिजाब पहन कर कॉलेज आती हैं और उन्हें कॉलेज परिसर में दाखिल होने से रोक दिया जाता है, जिसके चलते मुस्लिम छात्राओं का कॉलेज के प्रवेश द्वार के सामने कई दिन से विरोध प्रदर्शन जारी है.

पिछले दिन मुस्लिम छात्राओं का एक बड़ा समूह कॉलेज के प्रवेश द्वार के सामने सड़क पर जाम लगा कर बैठ गया था और कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की थी. छात्राओं ने ‘हिजाब हमारा अधिकार है’ और ‘हमें न्याय चाहिए’ के ​​नारे भी लगाए थे.

प्रदर्शनकारी छात्राओं ने आरोप लगाया कि उनके साथ ‘कुत्तों और अपराधियों’ जैसा व्यवहार किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि उन्हें सड़क पर खड़ा करने के लिए वे ‘मानसिक रूप से आहत’ हैं. लड़कियों ने कहा कि उन्हें पास के एक अस्पताल के वॉशरूम का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.

हिजाब पर विवाद

छात्रों के दो गुटों के बीच हिजाब और भगवा शॉल पहनने का मुक़ाबला कर्नाटक हाईकोर्ट में भी पहुंच गया है.

लेकिन सरकार ने अभी तक इस सवाल पर अपना रुख़ साफ़ नहीं किया है कि सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के स्टूटेंड्स के लिए यूनिफ़ॉर्म तय करने की ज़रूरत है या नहीं.

बीबीसी खबर के अनुसार, बुधवार को, उडुपी ज़िले के तालुका कुंडापुर में सरकारी पीयू कॉलेज में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों के हिजाब पहनने के विरोध में कॉलेज में कुछ लड़कों को भगवा शॉल पहने देखा गया.

फोटो : ट्विटर

भगवा विरोध के चलते बुधवार को लगभग दो दर्जन स्टूडेंट्स के कॉलेज में घुसने की कोशिश करने पर प्रिंसिपल ने उन्हें रोकने के लिए कॉलेज का गेट बंद करा दिया.

एक वीडियो में प्रिंसिपल को स्टूडेंट्स को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें हिजाब के साथ कॉलेज में आने की इजाज़त नहीं है.

छात्राओं का कड़ा रुख़ सबसे पहले उडुपी के सरकारी पीयू महिला कॉलेज में देखा गया, जहां छह छात्राएं और उनके मां-बाप विवाद को हल करने के लिए पिछले कुछ हफ़्ते से कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के साथ बातचीत कर रहे हैं.

उनकी सबसे बड़ी चिंता 17 फ़रवरी से शुरू होने वाले प्रैक्टिकल इम्तेहान के लिए प्री-इक्ज़ाम टेस्ट हैं.

चिकमगलुरु कॉलेज ने मुस्लिम छात्राओं के मां-बाप के साथ ही हिंदू संगठनों के साथ बैठक के बाद लड़कियों को हिजाब नहीं पहनने के लिए कहकर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की और मुस्लिम लड़कियों को कहा गया कि वे सिर पर दुपट्टा डाल सकती हैं.

मामला अदालत में है

कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है, जो कि दोनों अलग-अलग मुद्दों पर आधारित हैं.

एक याचिका में तर्क दिया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 (1) के तहत लिबास का चुनाव एक मौलिक अधिकार है.

जिस ड्रेस कोड में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है, वह क़ानून-व्यवस्था या समाज की नैतिकता के लिए नहीं है.

पाँच स्टूडेंट्स की ओर से दायर दूसरी याचिका में कहा गया है कि 2021-22 की एकैडमिक गाइडलाइंस में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के लिए कोई यूनिफ़ॉर्म तय नहीं की गई है.

याचिका के अनुसार, गाइडलाइंस में यहां तक कहा गया है कि अगर कोई कॉलेज यूनिफ़ॉर्म तय करता है तो उसके ख़िलाफ़ विभाग सख़्त कार्रवाई करेगा.

दोनों याचिकाओं में केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ के फ़ैसले का हवाला दिया गया है, जिसने नीट परीक्षा में सिर पर स्कार्फ़ पहनने की अनुमति देने वाले एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को बरक़रार रखा था.

बीबीसी खबर के अनुसार, कुंडापुर के विधायक हलादी श्रीनिवास शेट्टी कहते हैं, ‘पहले एक या दो स्टूडेंट इसे पूरी तरह सेहत के आधार पर पहनती थीं. लेकिन अब अचानक सभी 27 स्टूडेंट्स यह पहनने लगी हैं.’

शेट्टी का कहना है, ‘सरकार ने एक कमेटी बनाई है जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है. हम शैक्षणिक सत्र के ख़ात्मे की ओर बढ़ रहे हैं और कोई नहीं जानता कि यह कब आएगी. कुल मिलाकर, यह कोई अच्छी हालत नहीं है.’

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