गुजरात के सूरत में एक स्कूल में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने का विरोध (opposing girls wearing hijab) करने पर करीब एक दर्जन विश्व हिंदू परिषद (VHP) कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है. कपोदरा थाने के निरीक्षक एमबी राठौड़ ने बताया कि विहिप कार्यकर्ताओं को स्कूल परिसर से हिरासत में लिया गया. विहिप कार्यकर्ता मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने के विरोध में वहां एकत्र हुए थे.
उन्होंने बताया कि हिजाब पहनने वाली लड़कियां स्कूल की छात्रा नहीं थीं बल्कि वे एक प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए वहां गई थीं. वह स्कूल परीक्षा केंद्र था. राठौड़ के अनुसार, भगवा गमछा लिए विहिप कार्यकर्ताओं ने स्कूल में प्रदर्शन किया, वहीं छात्राओं ने परीक्षा दी. स्कूल के प्रधानाध्यापक ने पुलिस को सूचित किया और मौके पर पहुंचकर पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
निरीक्षक ने कहा कि हम स्कूल पहुंचे और विरोध कर रहे 12 लोगों को हिरासत में लेकर उन्हें थाना लाया गया. लड़कियों को परीक्षा देने में कोई बाधा नहीं आई. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि गुजरात को शाहीन बाग में बदलने की साजिश के तहत लड़कियां हिजाब पहनकर स्कूल आयी थीं. शाहीन बाग संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एक प्रमुख केंद्र था. ईटीवी भारत ने इसको रिपोर्ट किया है.
इस बीच सूरत के कांग्रेस नेता असलम साइकिलवाला ने आरोप लगाया कि कुछ समूह जानबूझकर राज्य में शांति भंग करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह गुजरात में शांति भंग करने के लिए कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की साजिश प्रतीत होती है.
क्या है हिजाब विवाद
हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान छात्राओं की ओर से कोर्ट में कहा गया कि हिजाब पर रोक कुरान पर प्रतिबंध लगाने के समान है. मुस्लिम छात्राओं को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर प्रवेश से रोकने को लेकर विवाद दिसंबर में शुरू हुआ था, जब कर्नाटक के उडुपी जिले की छह छात्राओं ने आवाज़ उठाई थी. उसके बाद वही लड़कियां हाईकोर्ट में गुहार करने पहुंची थीं. तभी से यह मामला बढ़ता चला जा रहा है.
कर्नाटक सरकार ने सोमवार को हाईकोर्ट से कहा कि हिजाब मामले में याचिकाकर्ता न सिर्फ इसे पहनने की अनुमति मांग रही हैं, बल्कि यह घोषणा भी चाहती हैं कि इसे पहनना इस्लाम को मानने वाले सभी लोगों पर धार्मिक रूप से बाध्यकारी है. राज्य सरकार ने कहा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखना चाहिए.
कर्नाटक हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश
कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में अगले आदेश तक सभी छात्रों को कक्षा के भीतर भगवा शॉल, भगवा गमछा और हिजाब पहनने या किसी अन्य धार्मिक झंडे को रखने से रोक दिया है.