‘नेहरू-पटेल की वजह से मुसलमानों को नहीं मिला आरक्षण’: सपा विधायक अबू आसिम आज़मी

महाराष्ट्र के मुंबई से सपा विधायक अबू आसिम आज़मी ने कहा, साइमन कमीशन के जमाने में 35 फीसदी रिजर्वेशन की व्यवस्था थी, इसके तहत सिख, ईसाई, मुसलमान सबको आरक्षण मिलता था. उन्होंने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो 35 फीसदी रिजर्वेशन की व्यवस्था खत्म करने में देश के पहले प्रधानमंत्री और तत्कालीन गृह मंत्री ने भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में संविधान के आर्टिकल 341 के अंतर्गत याचिका लंबित है, लेकिन राजनीतिक हितों को देखते हुए तमाम पार्टियां खामोश रहती हैं.

समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी ने कहा, उन्हें कहने में कोई शर्म नहीं है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने उस समय के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को सांप्रदायिकता फैलाने वाला पत्र दिया. इस कारण देश में हिंदू के अलावा किसी और को रिजर्वेशन नहीं देने का प्रावधान शुरू हुआ.

अबू आसिम आजमी ने कहा, 35 फीसदी रिजर्वेशन के दायरे में आने वाले मुसलमान, सिख, बौद्ध और इसाईयों का रिजर्वेशन खत्म कर दिया गया. हालांकि, बाद में सिख और बौद्ध को आरक्षण मिलने लगा, लेकिन ईसाई और मुसलमान को आज तक रिजर्वेशन नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि तमाम राजनीतिक दल मुसलमानों के वोट तो लेती हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित आर्टिकल 341 से संबंधित याचिका पर सब खामोश रहते हैं. सरकारों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी का जिक्र कर अबू आसिम आजमी ने सवाल किया, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में मुसलमानों को रिजर्वेशन दिए जाने के प्रावधान पर बात करने पर सहमति बनी थी, लेकिन अब सब खामोश हैं. अबू आसिम आजमी ने कहा हाईकोर्ट ने 5 फीसदी रिजर्वेशन पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को देश में अछूत जैसा समझा जाता है. बकौल अबू आसिम आजमी, जब तक देश का 15-18 फीसद मुसलमान वंचित रहेगा तब तक भारत विकसित देशों की कतार में शामिल नहीं हो सकेगा.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में 27% ओबीसी आरक्षण से मना कर दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा कि वह महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम न उठाए.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महाराष्ट्र सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग महाराष्ट्र स्टेट बैकवर्ड क्लास कमीशन (Maharashtra State Backward Class Commission- MSBCC) की अंतरिम रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करे. बता दें कि MSBCC ने स्थानीय निकायों के चुनाव में 27% ओबीसी कोटा (Maharashtra OBC Quota) देने की सिफारिश की थी और कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना कराए जाएंगे.

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दायर एक आवेदन में कहा है कि अंतरिम रिपोर्ट के आलोक में, भविष्य के चुनाव को ओबीसी आरक्षण के साथ आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए. अदालत महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील सचिन पाटिल ने कहा कि न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुसार, उन्होंने आयोग के समक्ष डेटा पेश किया है. पाटिल ने कहा कि आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है जिसमें कहा गया है कि ओबीसी को 27 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता ह्रै, लेकिन यह सीमा 50 प्रतिशत के कुल कोटा के आंकड़े को पार नहीं करनी चाहिए.

(इनपुट ईटीवी भारत)
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