नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में न्यायिक हिरासत में बंद सामाजिक कार्यकर्ता शरजील इमाम की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
2019-20 में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान उन पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगाए गए थे। पुलिस की ओर से शरजील को देशद्रोह का आरोप लगाते हुए दिल्ली में हुई हिंसा के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक बताया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने शरजील इमाम की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने के निर्देश के बाद 27 मई को कड़कड़डूमा अदालत का रुख किया था।
Delhi court dismissed the interim bail plea of Sharjeel Imam in the Sedition case connected with seditious speech
— ANI (@ANI) July 23, 2022
अभियोजन पक्ष द्वारा मेंटेनेबिलिटी (गुण-दोष) का मुद्दा उठाए जाने के बाद उनके वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत याचिका वापस ले ली थी।
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद इमाम ने राहत के लिए पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें राजद्रोह के औपनिवेशिक युग के दंडात्मक प्रावधान (भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए) को रोक दिया गया था।
याचिका में कहा गया है, अपीलकर्ता को 28 जनवरी, 2020 से लगभग 28 महीने से जेल में रखा गया है, जबकि अपराधों के लिए अधिकतम सजा- 124-ए आईपीसी शामिल नहीं है – सात साल की कैद की सजा है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, जेएनयू स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता इमाम और उमर खालिद उन लगभग दर्जन भर लोगों में शामिल हैं, जो कथित तौर पर 2020 की दिल्ली हिसा से जुड़ी कथित बड़ी साजिश में शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, इमाम और खालिद पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं, जिसने कथित तौर पर हिंसा को बढ़ावा दिया।
फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा भड़क उठी थी, क्योंकि सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) के समर्थक और इसके विरोधियों के बीच हुई झड़पों ने हिंसक रूप ले लिया था।
हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
—आईएएनएस