नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट से ताहिर हुसैन को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. हालांकि राहत की खबर यह है कि उन्हें नामांकन भरने के लिए कस्टडी पैरोल दे दी है. दरअसल ताहिर हुसैन ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी.
ताहिर हुसैन को कस्टडी पैरोल दे दी गई है. लेकिन कोर्ट ने कुछ बंदिशें भी लगई हैं. जो कुछ इस तरह हैं.
- ताहिर हुसैन मोबाइल को एक्सेस नहीं करेंगे. इसके साथ ही इंटरनेट का किसी भी तरह इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
- नामांकन पत्र दाखिल करने के प्रोसेस से जुड़े लोगों के अलावा किसी और से ताहिर हुसैन बात नहीं कर सकेंगे.
- मीडिया से किसी तरह की कोई बात नहीं होगी.
- ताहिर के घरवाले के अलावा किसी और के रहने की इजाजत नहीं है.
- नामांकन के फ़ोटो क्लिक करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की इजाज़त नहीं होगी.
ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों के आरोपी हैं और उन पर गै़रकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए (UAPA) के तहत मुकदमा चल रहा है. वहीं आईबी अफसर अंकित के मर्डर के मामले में भी उनके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं. इन सभी मामलों को लेकर ताहिर ने कड़कड़डूमा कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हालांकि बीते रोज़ कड़कड़डूमा कोर्ट ने उनकी याचिका को अगले दिन के लिए टाल दिया था.
ताहिर हुसैन अब नामांकन भर सकते हैं, इसके बाद उन्हें दोबारा से सरेंडर करना होगा. वह दिल्ली चुनाव जेल से ही लड़ने वाले हैं. बता दें, दिल्ली दंगों में 59 लोगों की जान गई थी. मरने वालों में आईबी अफसर अंकित भी शामिल थे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम ज़मानत की मांग ठुकराते हुए कहा कि ताहिर पर दिल्ली दंगों की साजिशकर्ता होने का आरोप है, जिसमें 59 लोगों की जान गई. कोर्ट इस तथ्य को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता. सिर्फ पूर्व पार्षद होने के चलते वो अंतरिम ज़मानत का हकदार नहीं हो जाते.
पुलिस चाहती थी कि ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत न मिले और कस्टी पैरोल पर ही वह अपना नामांकन दाखिल करें. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को कहा था कि उन्हें नामांकन कस्टडी पैरोल से ही भरनी चाहिए, ऐसा पहले भी किया जा चुका है. वहीं ताहिर हुसैन के वकील ने कश्मीर के इंजीनियर रशीद का उदाहरण देते हुए कहा था कि उन्हें उनकी तरह चुनाव प्रचार के लिए जमानत दे देनी चाहिए.
ताहिर हुसैन ने इलेक्शन प्रोसेस में हिस्सा लेने और चुनाव प्रचार के लिए 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम ज़मानत की मांग की थी. वह मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के उम्मीदवार हैं.