Engineer Rashid Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 7 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के सांसद राशिद इंजीनियर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा. सांसद राशिद ने संसद के बजट सत्र में उपस्थित होने के लिए कोर्ट से हिरासत पैरोल की मांग की थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने सांसद राशिद इंजीनियर के तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को संसद में उपस्थित होने के लिए हिरासत पैरोल दिए जाने के पहलू पर फैसला सुरक्षित रखा गया.
‘संसद में उपस्थित होने का कोई निहित अधिकार नहीं’
NIA की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कस्टडी पैरोल दिए जाने का विरोध करते हुए सुरेश कलमाड़ी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया. जिसमें कहा गया है कि संसद में उपस्थित होने का कोई निहित अधिकार नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि कलमाड़ी फैसले के मद्देनजर राहत संभव नहीं है.
‘राहत देना न्यायालय का विवेकाधिकार’
एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा के इस हवाले पर एन हरिहरन ने जवाब देते हुए कहा कि हालांकि इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि स्थापित कानून कहता है कि कोई निहित अधिकार नहीं है. लेकिन कलमाड़ी के फैसले में यह भी कहा गया कि इस तरह की राहत देना न्यायालय का विवेकाधिकार है, जिसका इस्तेमाल प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर किया जाना चाहिए.
‘निर्वाचन क्षेत्र की आवाज को न दबाएं’
राशिद के वकील ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है और उन्हें सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए. सांसद की ओर से पेश हुए वकील ने उनके हवाले से दलील दी, ‘‘मैं (इंजीनियर रशीद) जम्मू कश्मीर के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं. निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधित्व को नहीं रोकें. निर्वाचन क्षेत्र की आवाज को न दबाएं.’’
राशिद 2019 से तिहाड़ जेल में बंद
राशिद इंजीनियर 2017 के आतंकी-वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी.