Ashok Singhal’s Provocative statement: असम पिछले कुछ समय से मुसलमानों के खिलाफ नफरत का केंद्र रहा है. आए दिन वहां के आम आदमी से लेकर सत्ता में बैठे लोग मुस्लिमों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान बाजी करते रहते हैं. अब इसी बीच असम सरकार के एक मंत्री का मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान चर्चाओं में हैं. असम सरकार में मंत्री अशोक सिंघल के बयान ने आम जगह से लेकर विधानसभा तक में हंगामा खड़ा कर दिया है. तो आईए जानते हैं कि अशोक सिंघल ने मुसलमानों के खिलाफ क्या- क्या बयान दिया है.
अशोक सिंघल के विवादित बयान का एआईयूडीएफ (AIUDF) ने कड़ा विरोध दर्ज किया है. AIUDF ने सिंघल पर सांप्रदायिक विभाजन और नफरत फैलाने का आरोप लगाया है. वहीं साथ ही सिंघल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की मांग की.
‘मुस्लिमों के प्रति जीरो समर्थन’
असम सरकार में मंत्री अशोक सिंघल ने अपने विधानसभा क्षेत्र ढेकियाजुली में एक बैठक के दौरान कथित तौर पर कहा कि मियां समुदाय को हिंदू त्योहारों के दौरान दुकानें संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अशोक सिंघल ने आगे कहा कि वे इस समुदाय के प्रति जीरो समर्थन रखते हैं और लोगों से अपील की कि वे उनके साथ रहें, लेकिन इस समुदाय के लोगों से दूरी बनाकर रखें.
‘मियां हमारे त्योहारों में क्यों आएंगे?’
वायरल हो रहे एक वीडियो में मंत्री अशोक सिंघल ये कहते हुए नजर आ रहे हैं कि मियां लोगों को दुकानें मत दो, इन्हें हमारे युवाओं को दो. मियां हमारे त्योहारों में क्यों आएंगे? हमारे युवा ईद पर नहीं जाते… मैं उनके साथ नहीं हूं. अगर आप उनके साथ घुलते-मिलते हैं तो मैं आपके साथ नहीं हूं.”
AIUDF ने मंत्री से मांगा इस्तीफा
मंत्री अशोक सिंघल के मुसलमानों के खिलाफ विवादित और नफरती बयान के बाद असम की सियासत गरमा गई है.
एआईयूडीएफ (AIUDF) के विधायक रफीकुल इस्लाम ने अशोक सिंघल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का प्रयास किया. साथ ही मंत्री पर अपने पद की शपथ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
रफीकुल इस्लाम ने सवाल उठाया कि क्या सिंघल मियां समुदाय वाले इलाकों में सरकारी योजनाओं को भी रोक देंगे. उन्होंने मंत्री से इस्तीफे की मांग की. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह प्रस्ताव के लिए जरूरी मानदंडों को पूरा नहीं करता.
बता दें कि आमतौर पर असम में ‘मियां’ शब्द बंगाली भाषी प्रवासी मुस्लिम समुदाय के लिए अपमानजनक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. इनकी राज्य में संख्या लगभग एक करोड़ से ज्यादा बताई जाती है. ये समुदाय 1980 के दशक में असम के विदेशी विरोधी आंदोलन के केंद्र में था.