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बिलक़ीस बानो के दोषियों की रिहाई से दहशत में 70 मुस्लिम परिवार, गांव छोड़ने पर मजबूर

नई दिल्ली: गुजरात दंगा प्रभावित गैंगरेप पीड़िता बिलक़ीस बानो के 11 दोषियों को 15 अगस्त के मौके पर रिहा कर दिया गया था. इस खबर के बाद बिलक़ीस बानो अंदर से टूट गई थीं. उनकी रिहाई के बाद आमजन का न्याय से भरोसा उठ रहा है, महिला खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं.

सोशल माडिया पर बिलक़ीस के इंसाफ के लिए न्याय की मांग उठ रही है. लोगों का कहना है कि क्या निर्भया के गुनहागारो को भी ऐसा छोड़ दिया जाता. एक तरफ हमारे पीएम मोदी लाल किला की प्राचीर से महिलाओं की सुरक्षा की बात करते हैं, तो वहीं उसी दिन 11 दोषियों को छोड़ा दिया जाता है, उन्हें माला पहनाई जाती है. 11 दोषियों को छोड़ने का डर उस गांव के और लोगों में भी है, जहां बिलक़ीस रहती हैं, इस डर से 70 मुस्लिम परिवार ने गांव छोड़ना शुरू कर दिया है.

डीएनए की खबर के मुताबिक, गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव के एक निवासी ने दावा किया कि बिलक़ीस बानो के 11 दोषियों की रिहाई के बाद से मुस्लिम परिवार दहशत में जी रहे हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता होने लगी है.

उन्होंने कहा कि गांव वालों को डर है कि दोषियों के रिहा होने से कहीं फिर से हिंसा ना भड़क जाए. इसी खौफ की वजह से कई मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर अपने रिश्तेदारों के यहां रहने चले गए हैं. उन्होंने कहा कि हमने जिला कलेक्टर को आग्रह किया है कि वो दोषियों की सजा पूरी होने तक जेल में डालें और गांव को सुरक्षा प्रदान करें.

हालांकि, पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए रंधिकपुर गांव की सुरक्षा बढ़ा दी है. पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) आर. बी. देवधा ने कहा कि कुछ ग्रामीण अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों में अपने रिश्तेदारों के साथ रहने चले गए हैं. पुलिस गांव के लोगों के संपर्क में है. साथ ही उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि जेल से रिहा हुए 11 दोषी रंधिकपुर के पास सिंगवड़ गांव के निवासी हैं, लेकिन वो इलाके में मौजूद नहीं हैं. आरोपियों के गांव पास होने के कारण मुस्लिम परिवार दहशत में आ गए हैं, इसी कारण वह गांव छोड़ने पर मजबूर हैं.

बता दें कि 15 अगस्त को बिलक़ीस बानो के केस में 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. इन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 15 साल जेल काटने के बाद गुजरात सरकार ने उनकी रिहाई के आदेश दे दिए. इन दरिंदों ने 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलक़ीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी. कोर्ट ने दरिंदों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन गुजरात सरकार ने 15 साल बाद इन्हें रिहा कर दिया. इनकी रिहाई के बाद देश की महिलाओं में एक डर का माहौल है.

क्य़ा थी पूरी घटना?

27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई. इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. घटना के चलते गुजरात में दंगे भड़क उठे. दंगों की आग तीन मार्च 2002 को बिलक़ीस के परिवार तक पहुंच गई.

उस वक्त 21 साल की बिलक़ीस के परिवार में बिलक़ीस और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य भी थे. चार्जशीट के मुताबिक, बिलक़ीस के परिवार पर हसिया, तलवार और अन्य हथियारों से लैस 20-30 लोगों ने हमला बोल दिया था.

इनमें दोषी करार दिए गए 11 लोग भी शामिल थे. दंगाइयों ने बिलक़ीस, उनकी मां और परिवार के तीन अन्य महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया. उन सभी को बेरहमी से पीटा. हमले में परिवार के 17 में से सात सदस्यों की मौत हो गई. छह लापता हो गए. केवल तीन लोगों की जान बच सकी. इनमें बिलक़ीस, उनके परिवार का एक पुरुष और एक तीन साल का बच्चा शामिल था. इस घटना के वक्त बिलक़ीस पांच महीने की गर्भवती थीं. दंगाइयों की हैवानियत के बाद बिलक़ीस करीब तीन घंटे तक बेहोश रही थीं.

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