संभल: उत्तर प्रदेश के जिला संभल में जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची टीम के साथ भीड़ की मुठभेड़ हो गई है. मुठभेड़ में 4 लोगों की मौत हो गई है. हिंसा में 20 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. पुलिस ने 2 औरतों समेत कम से कम 21 लोगों को हिरासत में लिया है. हिंसा के बाद संभल में हालात कशीदा हैं, ऐसे में यहां स्कूलों को बंद कर दिया गया है. इलाके में इंटरनेट भी बंद है. पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है.
संभल में बीते 19 नवंबर से तनाव के हालात हैं. यहां एक अदालत के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था. संभल में हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में मौजूद जामा मस्जिद मंदिर तोड़ कर बनाई गई है. पहले यहां पर हरिहर मंदिर था. अदालत के आदेश पर 24 नवंबर को दोबारा मस्जिद का सर्वे होना था. सर्वे टीम सुबह से ही मस्जिद का सर्वे कर रही थी. मस्जिद कमेटी ने इसकी इजाजत भी दी थी, लेकिन धीरे-धीरे यहां भीड़ जमा हुई और पुलिस वालों से भीड़ की मुठभेड़ हो गई. पुसिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैसे के गोले दागे और उन पर लाठी भी चार्ज किया. बड़ी तादाद में इलाके में पुलिस की तैनाती की गई है.
ज़ी सलाम की रिपोर्ट के अनुसार, मुरादाबाद के कमिश्नर अंजनेय कुमार सिंह का कहना है कि “उपद्रवियों ने गोलियां चलाई हैं. पुलिस अधीक्षक पीआरओ के पैर में गोली लगी है. सीओ को छर्रे लगे हैं. इस हिंसा में 15 से 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं.” हिंसा में नईम, बिलाल और नौमान समेत 4 लोगों की मौत हो गई है. पुलिस के मुताबिक 2 औरतों समेत हिंसा में 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस के मुताबिक, भीड़ ने गाड़ियों में आग लगाई है. आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानू (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है.
पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई का कहना है कि भीड़ की तरफ से शुरू की गई हिंसा को काबू में लाने के लिए “हल्का बल प्रयोग किया गया. आंसू गैस के गोले छोड़े गए.”
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसिया के मुताबिक, “अब स्थिति शांतिपूर्ण है. पथराव की घटना के सिलसिले में करीब 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है.”
वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने संभल हिंसा पर कहा, “संभल, उत्तर प्रदेश में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया. प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा. सत्ता में बैठकर भेदभाव, अत्याचार और फूट फैलाने का प्रयास करना न जनता के हित में है, न देश के हित में. माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का संज्ञान लेकर न्याय करना चाहिए.
प्रदेश की जनता से मेरी अपील है कि हर हाल में शांति बनाएं रखें”.