नई दिल्ली: कांवड़ियों पर फूल बरसाने को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एएमआईएमआईएम) के चीफ और संसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं और सरकार से पूछा है कि क्या पुष्प वर्षा रेवड़ी कल्चर नहीं है?
उन्होंने इसके साथ ही भेदभाव का आरोप लगाते हुए पूछा है कि एक पक्ष के लिए मोहब्बत तो दूजे के लिए नफरत क्यों अपनाई जा रही है? उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांवड़ियों पर फूल बरसाए जा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए.
असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘बीजेपी के नेतृत्व वाली यूपी सरकार जनता के पैसे से कांवड़ियों पर फूल बरसा रही है. हम चाहते हैं कि वे सभी के साथ समान व्यवहार करें. वे हम (मुसलमानों) पर फूल नहीं बरसाते बल्कि हमारे घरों पर बुलडोजर चलाते हैं.’
Delhi | BJP-led UP government showering flower petals on Kanwariyas using public money. We want them to treat everyone equally. They don't shower flowers on us (Muslims) instead, they bulldoze our houses: AIMIM MP, Asaduddin Owaisi pic.twitter.com/pdnyhDAStC
— ANI (@ANI) July 27, 2022
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे ट्वीट कर कहा कि ‘अगर इन पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए.’
ओवैसी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट कर कहा कि ‘पुलिस ने पंखुड़ियां बौछार कीं, कांवड़ियों का झंडों से “इस्तक़बाल” किया, उनके पैरों पर लोशन लगाया और उनके साथ इंतेहाई शफ़क़त से पेश आए. दिल्ली पुलिस ने लोहारों को हटाने की बात की, ताकि कांवड़िया नाराज़ न हो जाएं, उ.प्र हुकूमत ने यात्रा के रास्तों पर गोश्त पर पाबंदी लगा दी.’
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट में कहा, ‘अगर कोई मुस्लिम कुछ मिनट के लिए ही खुली जगह पर नमाज पढ़ता है तो इससे तुरंत विवाद खड़ा हो जाता है. मुस्लिमों को गोलियों, हिरासत, एनएसए, यूएपीए, लिंचिग और घरों पर बुलडोजर चलने जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है.’ ओवैसी ने इस दौरान कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला भी दिया है.
कांवड़ियों के जज़्बात इतने मुतज़लज़ल हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते।
यह भेद-भाव क्यों? यकसानियत नहीं होनी चाहिए? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोज़र क्यों? 3/n pic.twitter.com/DPZwC02iNF
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 26, 2022
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कांवड़ियों के जज़्बात इतने मुतज़लज़ल हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते.
यह भेद-भाव क्यों? यकसानियत नहीं होनी चाहिए? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोज़र क्यों?