नयी दिल्ली: भारत के ‘इस्लाम की जन्मस्थली’ होने का दावा करते हुए प्रतिष्ठित मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने शनिवार को कहा कि अल्लाह के पहले पैगम्बर का जन्म यहीं हुआ था और यह“ मुसलमानों का पहला वतन” है।
मदनी ने साथ में यह भी कहा कि यह देश जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का, उतना ही उनका भी है।
उन्होंने यह दावा भी किया कि देश में पिछले कुछ वर्षों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और सरकार तथा प्रशासन को जिस तरह कार्रवाई करनी चाहिए थी, नहीं की। उन्होंने कहा, इस तरह की घटनाओं के खिलाफ “ हम आवाज़ भी उठाएंगे और लड़ाई भी लड़ेंगे।”
#WATCH | This land is the first homeland of Muslims. Saying that Islam is a religion that came from outside is totally wrong & baseless. Islam is the oldest religion among all religions. India is the best country for Hindi Muslims: Jamiat Ulema-e-Hind Chief Mahmood Madani (10.02) pic.twitter.com/hQ5YQhEeqh
— ANI (@ANI) February 11, 2023
मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों का आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा बहुसंख्यकों से कोई धार्मिक या नस्ली द्वेष नहीं है। उन्होंने देश को महाशक्ति बनाने के लिए संघ प्रमुख भागवत को “आपसी बैर और दुश्मनी” को भुलाकर एक-दूसरे से ‘गले मिलने’ का न्योता दिया।
मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों का आरएसएस और भाजपा से सिर्फ विचारधारा को लेकर “मतभेद है, न कि मनभेद है”।
राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में आयोजित संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा, ‘‘हमें और उन्हें भी समझ लेना चाहिए कि यह मतभेद ज़िंदगी को खूबसूरत बनाता है और विरोध तंग दिली का लक्षण है।”
उन्होंने कहा, “इस मुल्क की आबादी कम से कम 140 करोड़ है। यह लाखों वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। बेशुमार तहज़ीबें (संस्कृति), ज़बानें (भाषाएं), खान पान के तरीके और सोचने के अंदाज़ अलग-अलग होने के बावजूद यह मुल्क जुड़ा हुआ है और एक साथ है। इसमें मुसलमानों का बड़ा किरदार है।”
मदनी ने कहा, “ इस धरती की खासियत यह है कि खुदा के सबसे पहले पैगम्बर अबुल बशर सैयदना आदम अलैहिस्सलाम की यह सरज़मीन है। यह धरती इस्लाम की जन्मस्थली है। यह मुलसमानों का पहला वतन है। इसलिए यह कहना कि इस्लाम बाहर से आया हुआ कोई मज़हब है, सरासर गलत है और ऐतिहासिक आधार पर बेबुनियाद है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए मैं साफ तौर से कहता हूं भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी (धार्मिक) दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है।”
जमीयत प्रमुख ने कहा, “यह देश जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का है, उतना ही यह महमूद का भी है। महमूद ना तो एक इंच आगे है, ना पीछे है और वे भी महमूद से एक इंच आगे नहीं हैं।”
#WATCH | Delhi: India is our country. As much as this country belongs to Narendra Modi and Mohan Bhagwat, equally, this country belongs to Mahmood. Neither Mahmood is one inch ahead of them nor they are one inch ahead of Mahmood: Jamiat Ulema-e-Hind Chief Mahmood Madani (10.02) pic.twitter.com/mB2JBqpTHI
— ANI (@ANI) February 11, 2023
उन्होंने दावा किया, “ सबसे ज्यादा चिंता की बात हिंदुत्व की गलत व्याख्या है और समग्र राष्ट्रवाद की हमारी पुरानी विचारधारा के बीच वैचारिक टकराव पैदा करने की आक्रामक कोशिश है। हिंदुत्व के नाम पर जिस तरह से आक्रामक सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह इस देश की मिट्टी और खुशबू से मेल नहीं खाती है। ”
उन्होंने कहा, “ हम साफ करना चाहते हैं कि हमारी आरएसएस और भाजपा से कोई धार्मिक या नस्लीय शत्रुता बिल्कुल नहीं हैं, लेकिन हमें सिर्फ विचारधारा से ऐतराज़ है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच बराबरी और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।”
उन्होंने कहा, “ हमारी नज़र में हिंदू और मुसलमान सभी समान हैं। हम इंसानों के बीच भेदभाव नहीं करते हैं, न ही हम नस्लीय ऊंच-नीच को स्वीकार करते हैं।”
मदनी ने कहा, “ आरएसएस के मौजूदा सर संघचालक के हालिया बयान ऐसे हैं, जो समग्र राष्ट्रवाद की विचारधारा, राष्ट्रीय एकता और भाईचारे वाले संबंधों से कुछ मेल खाते हैं।”
उन्होंने कहा, “ इस्लामी शिक्षाओं के मुताबिक, दोस्ती के लिए बढ़ाया जाने वाला हाथ आगे बढ़कर मज़बूती से थाम लिया जाना चाहिए।”
मदनी ने कहा, “ हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सर संघचालक मोहन भागवत जी और उनके अनुयायियों को आपसी भेदभाव, द्वेष और अंहकार को भूलकर एक दूसरे को गले लगाने और अपने प्यारे देश को दुनिया का सबसे विकसित, आदर्श , शांतिपूर्ण और महाशक्ति मुल्क बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं।”
मदनी ने कहा कि जमीयत आरएसएस से अपील करती है कि वह “ मौजूदा हालात में अपने समान विचारधारा वाले संगठनों को इस बात के लिए सहमत करे कि नफरत और सांप्रदायिकता की चादर उतार फेंके।”
उन्होंने कहा, “ हमें हिंदू धर्म के प्रचार से कोई शिकायत नहीं है और आपको भी इस्लाम के प्रचार से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए।”
मदनी ने कहा कि देश में अगर कोई घटना होती है, तो उसे पूरे समाज या देश का आईना नहीं बताया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बहुसंख्यकों का बड़ा तबका मुसलमानों के साथ खड़ा होने को तैयार है और बहुत कम संख्या में ऐसे लोग हैं, जो “दुश्मनी पर आमादा” हैं और “नफरत फैला” रहे हैं।
मदनी ने कहा, “ दलितों, अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों पर होने वाले हमले और मॉब लिंचिंग की घटनाएं, बिना शक बेहद अफसोसनाक और मुल्क के लिए शर्मनाक हैं।”
(इनपुट पीटीआई-भाषा)