नई दिल्ली: जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतउल्लाह हुसैनी ने विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. निजातुल्लाह सिद्दीकी के निधन पर शोक व्यक्त किया।
मीडिया को जारी एक बयान में उन्होंने कहा “डॉ निजातुल्लाह सिद्दीकी के निधन की खबर सुनकर हम बेहद दुखी हैं। इस्लामी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय था।
उन्होंने इस्लामिक बैंकिंग की अवधारणा का बीड़ा उठाया और एक उद्योग की नींव रखी जो अब बहु-अरब डॉलर से संपन्न है। डॉ निजातुल्लाह सीखने और विकास के लिए समर्पित बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे। विदेश में रहने के बावजूद उन्होंने भारत में कई मंचों और संस्थानों में बौद्धिक रूप से योगदान दिया।
उनका निधन मुस्लिम जगत और इस्लामी आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है। ऐसा मासूस होता है कि उनके जाने से इस्लामी अर्थशास्त्र और वित्त के क्षेत्र में एक बड़ा खालीपन आएगा। हम शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। अल्लाह उन्हें जन्नत में सर्वोच्च पद प्रदान करे और उसके परिवार के सदस्यों को धैर्य प्रदान करे।”
We offer our heartfelt condolences to the bereaved family members. May Allah forgive him, grant him the highest position in Paradise and bestow patience upon his family members." #DrNejatullahSiddiqui #JamaateIslamiHind pic.twitter.com/UzL1j7Q62o
— Jamaat-e-Islami Hind (@JIHMarkaz) November 12, 2022
डॉ. मोहम्मद निजातुल्लाह सिद्दीकी एक भारतीय अर्थशास्त्री और इस्लामी अध्ययन के लिए किंग फैसल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के विजेता थे। उनका जन्म 1931 में भारत में हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के साथ-साथ रामपुर और आजमगढ़ में शिक्षा प्राप्त की।
उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर और इस्लामी अध्ययन के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और किंग अब्दुल अज़ीज़ विश्वविद्यालय के इस्लामिक अर्थशास्त्र अनुसंधान केंद्र, जद्दा, में प्रोफेसर के रूप में सेवा दी।
वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में सेंटर फॉर नियर ईस्टर्न स्टडीज में एक अध्येता, और उसके बाद इस्लामिक रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, जेद्दा में एक विजिटिंग स्कॉलर बने।
विख्यात अर्थशास्त्री डॉ निजातुल्लाह सिद्दीकी. फोटो: द हिंदुस्तान गज़ट
वह उर्दू और अंग्रेजी के विपुल लेखक थे। उनका लेखन 177 प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ है। उनकी कई रचनाओं का अरबी, फ़ारसी, तुर्की, इंडोनेशियाई, मलेशियाई और थाई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
इस्लामिक अर्थशास्त्र में योगदान के लिए उन्हें नई दिल्ली में शाह वलीउल्लाह पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
उनकी कुछ उल्लेखनीय पुस्तकों में- लाभ के हालिया सिद्धांत: एक गंभीर परीक्षा, इस्लाम में आर्थिक उद्यम, मुस्लिम आर्थिक सोच, ब्याज रहित बैंकिंग, इस्लामी कानून में साझेदारी और लाभ-साझाकरण, इस्लामी अर्थव्यवस्था में बीमा, इस्लामी परिप्रेक्ष्य में अर्थशास्त्र अद्ध्यापन, इस्लामी अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका, इस्लामी अर्थशास्त्र में संवाद और संपत्ति पर इस्लाम का दृष्टिकोण (सभी अंग्रेजी में ) शामिल हैं।