लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आज मंगलवार को मदरसों के सर्वे का काम पूरा हो गया. इसके बाद सर्वे रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी ताकि इनके भविष्य को लेकर फैसला किया जा सके. वैसे, यूपी के शिक्षा मंत्री ने उन मदरसों पर कार्रवाई के संकेत दिए हैं, जो कथित तौर पर सरकारी मानदंडों का पालन नहीं करते.
आवाज़ द वायस की खबर के अनुसार, मदरसा सर्वे का काम पिछले महीने शुरू हुआ था. शुरूआती दौर में कई बड़े मुस्लिम इदारों ने मीटिंग कर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सर्वे कराए जाने का विरोध किया था. विरोध दर्ज कराने के लिए दिल्ली और देवबंद में बड़े स्तर पर मदरसा संचालकों की मीटिंग भी हुई थी.
हालांकि बाद में मुस्लिम इदारों ने सर्वे का विरोध न करने का निर्णय लिया. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने तो खुले तौर पर अपने मदरसों का सरकारी बोर्ड से रजिस्ट्रेशन नहीं कराने की बात कर चुके हैं.
इस वाद-विवाद के बीच मंगलवार को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने मदरसों के सर्वे का काम आज पूरा होने का ऐलान किया. उनके मुताबिक, अब सरकार सर्वे रिपोर्ट को लेकर बैठक करेगी.
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह. फोटो: एएनआई
धर्मपाल सिंह ने कहा, यूपी के सभी जिलों में मदरसों का सर्वेक्षण आज समाप्त हो गया. शेष 15 जिलों की रिपोर्ट सरकार को पहले ही सौंप दी गई है. अब सरकार इसपर बैठक करेगी. उन्होंने संकेत दिए कि सर्वे में उन मदरसों पर विशेष ध्यान दिया गया है जो कानून के उल्लंघन का काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, राज्य में उन मदरसों की पढ़ाई पर विशेष जोर है, जो सरकारी मानदंडों के खिलाफ चल रहे हैं. उनको लेकर अब सरकार अगला कदम तय करेगी. बता दें कि 12 अक्टूबर को राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने प्रदेश में कुल 6,436 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की पहचान कर उसका सर्वे करने का ऐलान किया था.
आज 5,170 मदरसों के सर्वे का काम पूरा हो गया. अक्टूबर में सरकार की ओर से बताया गया था कि सर्वेक्षण का डेटा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 15 नवंबर, तक सरकार को उपलब्ध कराया जाएगा. कई जिलों की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने पर इसकी अंतिम तिथि बढ़ाई गई.
शिक्षा मंत्री के अनुसार, प्रत्येक स्तर पर निर्धारित समयावधि में सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया गया. जिला स्तर पर सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद रिपोर्ट पहले अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) को सौंपी गई. इसके बाद जिलाधिकारियों (डीएम) को उपलब्ध कराई गई.
सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा होने के बाद तब शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया था कि सर्वेक्षण अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को गुणवत्ता और बेहतर शिक्षा देने के लिए कराया जा रहा है. सर्वेक्षण गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों की संख्या, शिक्षकों, पाठ्यक्रम और किसी गैर-सरकारी संगठन से संबद्धता को लेकर किया गया है.
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री एवं वक्फ बोर्ड के दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि माध्यमिक विभाग में लागू नियमों के आलोक में मदरसों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश और चाइल्ड केयर लीव देने का आदेश दिया गया है.