Malegaon Blast Case Update: महाराष्ट्र के चर्चित मालेगांव ब्लास्ट केस 2008 का फैसला अब 31 जुलाई तक टाल दिया गया है. इस ब्लास्ट केस में आज यानी कि गुरूवार, 8 मई को फैसला आना था. लोकिन NIA की स्पेशल कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट से सजा सुनाने के लिए 31 जुलाई 2025 तक का वक्त मांग लिया.
बता दें कि NIA की स्पेशल कोर्ट ने बीते 19 अप्रैल को साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट केस मामले में अपना फैसला 8 मई के लिए सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने क्या कहा?
इस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ए. के. लाहोटी ने अदालत में मौजूद आरोपियों से कहा कि इस मामले में बहुत सारे दस्तावेज हैं और फैसला सुनाने के लिए कुछ और समय चाहिए. यह बड़ा मामला है, इसमें समय लगता है. किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.
इसके साथ ही अदालत ने इस मामले के सभी आरोपियों को अगली तारीख 31 जुलाई को मौजूद रहने को कहा.
मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा
वहीं इसके बाद पूर्व बीजेपी सांसद और मालेगांव ब्लास्ट केस की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह तय नहीं था कि आज फैसला आएगा. यह तय है कि अगली सुनवाई में फैसला आएगा. जज ने कहा कि इसमें 1 लाख से ज्यादा पेज हैं. यह बड़ा मामला है, इसमें समय लगता है. किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. अगली तारीख 31 जुलाई दी गई है. सत्यमेव जयते.
#WATCH | Mumbai, Maharashtra | On the NIA Court’s hearing on the 2008 Malegaon bomb blast case, former BJP MP Sadhvi Pragya Singh Thakur says, “…The decision will be made on the date of the next hearing…The next hearing will be on July 31…This case has been going on for 17… pic.twitter.com/JZDkzBhPlw
— ANI (@ANI) May 8, 2025
कब हुआ था ब्लास्ट, कितने लोग मारे गए थे?
बता दें कि महाराष्ट्र का चर्चित मालेगांव ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 को हुआ था. महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच रात 9:35 बजे जोरदार बम धमाका हआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे.
मालेगांव ब्लास्ट मामले की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस ने की और बाद में इसे एनआईए को सौंप दिया गया. एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक 2008 मालेगांव ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी. यह मामला अब भी कोर्ट में लंबित है.