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जातिगत जनगणना कारएगी मोदी सरकार… राहुल गांधी समेत कई विपक्षी पार्टियां और नेता बना रहे थे सरकार पर दवाब

आईए आज के आर्टिकल में जानते हैं कि राहुल गांधी के अलावा और कौन सी विपक्षी पार्टी और नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे. इसके साथ ही जानेंगे कि देश में अब तक कितनी बार जातिगत जनगणना और मूल जनगणना हुई है...

Caste Census:  केंद्र की मोदी सरकार ने आज यानी कि बुधवार, 30 अप्रैल को जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया. यह फैसला केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया. इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में दी. अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि जाति जनगणना, मूल जनगणना में ही शामिल होगी. जनगणना इस साल सिंतबर से शुरू की जा सकती है वहीं इसे पूरा होने में कम से 2 साल लगेंगे.

बता दें कि विपक्ष पिछले कुछ समय से लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रहा था. नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना की मांग पर अड़े थे. राहुल गांधी ने कहा था कि कोई ताकत अब इसे रोक नहीं सकती. तो आईए जानते हैं कि राहुल गांधी के अलावा और कौन सी विपक्षी पार्टी और नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे. इसके साथ ही जानेंगे कि देश में अब तक कितनी बार जातिगत जनगणना और मूल जनगणना हुई है…

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा

पीएम मोदी की बीजेपी सरकार ने आखिरकार जाति जनगणना कराने का फैसला ले ही लिया. केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि साल 1947 से जाति जनगणना नहीं की गई. कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया.

राहुल गांधी लगातार जाति जनगणना की कर रहे थे मांग

नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय के लिए नीतिगत ढांचा तैयार करने का आधार है.

‘जाति जनगणना को कोई ताकत रोक नहीं सकती’

राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी जी, अगर आप जाति जनगणना को रोकने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप सपना देख रहे हैं.  कोई शक्ति अब इसे रोक नहीं सकती. उन्होंने आगे कहा था कि हिंदुस्तान का आदेश आ चुका है. जल्द ही 90% भारतीय जाति जनगणना का समर्थन और मांग करेंगे. आदेश अभी लागू कीजिए, या आप अगले प्रधानमंत्री को ये करते देखेंगे.

‘बीजेपी जातिगत-जनगणना हमेशा के लिए नहीं टाल सकती’

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि हर हाल में ‘जाति-जनगणना’ कराएंगे और ‘सामाजिक न्याय’ का युग लाएंगे. उन्होंने आगे कहा था कि बीजेपी राज में जाति छोड़कर सब कुछ गिना जाएगा. हम एक दिन गिनवा के ही मानेंगे.  बीजेपी जातिगत-जनगणना हमेशा के लिए नहीं टाल सकती.

‘हमारी मांगों के सामने घुटना टेकना ही पड़ेगा’

वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने पिछले साल सितंबर में कहा था कि RSS और BJP जातिगत जनगणना और आरक्षण का चाहे कितना भी विरोध कर लें लेकिन हम इनको देशभर में जातिगत जनगणना कराने एवं आरक्षण बढ़ाने पर मजबूर करेंगे ही करेंगे. इनको हमारी मांगों के सामने घुटना टेकना ही पड़ेगा. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जातिगत जनगणना कराने पर मजबूर करेंगे और करा कर ही रहेंगे.

तेजस्वी ने आगे कहा था कि जातिगत जनगणना की हमारी बहुत पुरानी मांग है. आदरणीय श्री लालू प्रसाद जी जब जनता दल के अध्यक्ष थे तभी से यह हमारी मांग रही है.

जातिगत जनगणना के फैसले के बाद अखिलेश यादव का रिएक्शन

मोदी सरकार के जातिगत जनगणना  कराने के फैसले पर अखिलेश यादव ने कहा कि जाति जनगणना का फ़ैसला 90% पीडीए की एकजुटता की 100% जीत है. हम सबके सम्मिलित दबाव से बीजेपी सरकार मजबूरन ये निर्णय लेने को बाध्य हुई है. सामाजिक न्याय की लड़ाई में ये पीडीए की जीत का एक अतिमहत्वपूर्ण चरण है. ये INDIA की जीत है.

अखिलेश ने बीजेपी को दी चेतावनी

बीजेपी सरकार को ये चेतावनी है कि अपनी चुनावी धांधली को जाति जनगणना से दूर रखे. एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को अपनी-अपनी जनसंख्या के अनुपात में अपना वो अधिकार और हक दिलवाएगी, जिस पर अब तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे थे.

‘इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे’- लालू यादव

राजद अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला. अभी बहुत कुछ बाकी है. हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे.

शरद पवार गुट की प्रतिक्रिया आई सामने

इसके साथ ही जातिगत जनगणना के फैसले पर शरद पवार गुट की प्रतिक्रिया सामने आई है. शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि सरकार को आखिर में समझ आ गया. उन्होंने कहा कि ये विपक्ष की तरफ से बनाए गए दबाव की जीत है.

जातिगत जनगणना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद पूरे सोशल मीडिया में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तारीफ हो रही है. सभी लोग कह रहे हैं भाई मान गए, दम है बंदे में.

वहीं कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी कहा कि राहुल जी ने नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद देश की संसद में कहा था कि सरकार को जातिगत जनगणना करवानी पड़ेगी, मैं चुनौती दे रहा हूं कि हम सरकार को मजबूर करेंगे कि उसे जातिगत जनगणना करवानी पड़ेगी.

आज राहुल गांधी जी फिर से सही साबित हुए, जातिगत जनगणना के लिये सरकार का मजबूर होना राहुल गांधी के मुद्दे की जीत है.

अंग्रेजों ने करवाई थी पहली बार जातिगत जनगणना

भारत में पहली बार जातिगत जनगणना साल 1881 में अंग्रेजों ने करवाई थी. यह साल 1931 तक चलता रहा. इसके बाद साल 1941 में भी जातिगत जनगणना हुई लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए.

वहीं आजाद भारत की बात करें तो देश को आजादी मिलने के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई थी. हालांकि इसमें सभी जातियों की गणना नहीं हुई थी, सिर्फ एससी और एसटी की हुई थी.

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