हैदराबाद: एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर बनने वाली फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
हैदराबाद के सांसद ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह गोडसे पर बनी फिल्म पर उसी तरह प्रतिबंध लगाएगी, जिस तरह उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाया था।
यह कहते हुए कि भारत में कोई भी महात्मा गांधी और डॉ बी.आर. अंबेडकर से बड़ा नहीं हो सकता, ओवैसी ने कहा कि यह देश कभी भी एक आतंकवादी को एक हीरो के रूप में चित्रित करने की अनुमति नहीं दे सकता।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष रविवार रात हैदराबाद के पुराने शहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने केंद्र से फिल्म पर प्रतिबंध लगाने और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि यह किसी भी थियेटर में रिलीज नहीं हो।
ओवैसी जाहिर तौर पर राजकुमार संतोषी की फिल्म गांधी गोडसे: एक युद्ध का जिक्र कर रहे थे, जो 26 जनवरी को रिलीज होने वाली है।
.@BJP4India hukumat ne 2002 Dange ki, BBC ki Documentary video ko Ban kardiya, Kya BJP hukumat Godse per Banne wali movie per Ban laagayegi ? – Barrister @asadowaisi https://t.co/aUHjJZbl0W
— AIMIM (@aimim_national) January 23, 2023
यह याद करते हुए कि 2013 में भिंडरावाले पर एक फिल्म को भी सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, उन्होंने पूछा कि गोडसे पर एक फिल्म पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, आपको गोडसे से इतना प्यार क्यों है?, आप गांधी का नाम जपते है, लेकिन दिल में गोडसे से प्यार करते हैं।
गोडसे को आजाद भारत का सबसे बड़ा आतंकवादी बताते हुए ओवैसी ने गांधीजी के हत्यारे के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राय जानना चाही।
भारत में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री भी गोडसे पर बनी फिल्म पर प्रतिबंध लगाएंगे।
हैदराबाद के सांसद ने आरएसएस से गोडसे के बारे में बोलने के लिए भी कहा। उन्होंने बताया कि गोडसे और सावरकर के बीच घनिष्ठ संबंध थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष गांधीजी के हत्यारे को नायक के रूप में चित्रित करने की कोशिश कर रहा है।
ओवैसी ने न्यायपालिका में हस्तक्षेप करने के प्रयासों के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की।
यह कहते हुए कि भारतीय संविधान के तहत न्यायपालिका स्वतंत्र है, उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ऐसे न्यायाधीशों को नियुक्त करना चाहती है जो उसकी विचारधारा से सहमत हों।
उन्होंने कहा कि सरकार ने न्यायाधीश के पद के लिए तमिलनाडु में भाजपा महिला मोर्चा की एक नेता की सिफारिश की, जिसने अपने ट्विटर अकाउंट पर खुद को चौकीदार घोषित किया था।
—आईएएनएस

