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‘पीएफआई जैसे अन्य देश विरोधी संगठनों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए’: एनएसए की उपस्थिति में सर्वसम्मति से संकल्प लिया गया

नई दिल्ली: दिल्ली में अंतरधार्मिक संवाद में सर्वसम्मति से संकल्प लिया गया कि किसी भी व्यक्ति विशेष के द्वारा चर्चा व बहस में किसी भी धर्म के देवी, देवताओं, पैगंबरों को निशाना बनाने की निंदा की जानी चाहिए और कानून के अनुसार निपटा जाना चाहिए।

साथ ही इंटरफेथ डायलॉग में आए सभी लोगों ने दृढ़ता से अनुशंसा करते हुए बोले अगर किसी भी व्यक्ति या संगठन को किसी भी माध्यम से समुदायों के बीच नफरत फैलाने के सबूत के साथ दोषी पाया जाता है तो कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

पीएफआई और ऐसे किसी भी अन्य मोचरें जैसे संगठन, जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और देश के कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। एनएसए की उपस्थिति में अंतरधार्मिक संवाद में सर्वसम्मति से संकल्प लिया गया।

एनएसए डोभाल ने कहा, “वे धर्म और विचारधारा के नाम पर कटुता और संघर्ष पैदा कर रहे हैं, यह पूरे देश को प्रभावित कर रहा है और देश के बाहर भी फैल रहा है।” उन्होंने कहा, ‘हमें मूकदर्शक बने रहने के बजाय अपनी आवाज को मजबूत करने के साथ-साथ अपने मतभेदों पर जमीनी स्तर पर काम करना होगा। हमें भारत के हर वर्ग को यह महसूस कराना है कि हम एक साथ एक देश हैं, हमें इस पर गर्व है और यहां हर धर्म को स्वतंत्रता के साथ स्वीकार किया जा सकता है।”

मुस्लिम नेताओं ने प्रतिबंध की मांग की
बैठक में मौजूद मुस्लिम नेताओं ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। एनएसए डोभाल की अध्यक्षता में अंतर-धार्मिक बैठक में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने भाग लिया। धार्मिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के आउटरीच के हिस्से के रूप में आयोजित इस सम्मेलन में सूफी संतों ने भी भाग लिया।

इस तरह की बैठक आयोजित करके मोदी सरकार की पहल ऐसे समय में आई है जब निलंबित भाजपा नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर पर विवादास्पद टिप्पणी और सूफी बरेलवी मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग की चरम प्रतिक्रियाओं के मद्देनजर देश में धार्मिक कलह चरम पर है।

नुपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ पश्चिमी एशियाई देशों के विरोध के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने भाजपा नेता को निलंबित कर दिया था। हालांकि, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में हिंसा की खबरें आने के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए।

(इनपुट आईएएनएस/हिन्दुस्तान)

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