नई दिल्ली: इस्लामिक संगठन जमाअत-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) ने शनिवार को बिलक़ीस बानो के दोषियों की रिहाई के पीछे राजनीतिक मकसद का आरोप लगाया. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘बिलक़ीस बानो सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों और उम्रकैद की सजा पाने वालों की रिहाई सुनिश्चित करने में गुजरात सरकार की भूमिका निंदनीय है.’
‘ऐसे निर्णय जिनका उद्देश्य किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र को खुश करने के लिए राजनीतिक लाभ प्राप्त करना है, अत्यधिक आपत्तिजनक हैं.’
आवाज़ द वॉयस की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि जमाअत-ए-इस्लामी हिंद इस फैसले की निंदा करता है और उम्मीद करता है कि सरकारी नीति की आड़ में किए गए इस गंभीर अन्याय को उलटने के लिए शीर्ष अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करेगी.
उन्होंने कहा, ‘बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए नहीं बल्कि छोटे अपराधों के लिए जेलों में बंद लोगों पर छूट नीति लागू की जानी चाहिए.’
यदि राज्य सरकारों को बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के बावजूद एक छूट नीति के माध्यम से अपनी पसंद के अपराधियों को मुक्त करने की अनुमति दी जाती है, तो यह हमारी न्यायपालिका का मजाक उड़ाएगा और नागरिकों को कानून की सर्वोच्चता में आशा खो देगी.
प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘यह अपराधियों और उनके मास्टरमाइंडों को प्रोत्साहित करने के लिए बाध्य है क्योंकि वे सबसे जघन्य अपराध करने के बावजूद जल्द या बाद में सिस्टम द्वारा जमानत के लिए आश्वस्त होंगे.’ जिस तरह से इन दोषियों को सम्मानित किया जा रहा है और उनकी सराहना की जा रही है वह काफी निंदनीय है.
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने दोषियों को रिहा करने के फैसले को पलटने के लिए राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग की है ताकि न्याय और शासन व्यवस्था को निष्प्रभावी होने से बचाया जा सके.