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राजधानी दिल्ली का प्रदूषण स्तर, जानिए पहले और आज में कितना हुआ इजाफा?

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर से मॉनसून जा चुका है. लेकिन मॉनसून के जाने के बाद अब प्रदूषण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है. आज की बात करें तो दिल्ली एनसीआर में औसत एक्यूआई 181 दर्ज की गई है. वायु गुणवत्ता सूचकांक के मामले में ये नंबर मध्यम श्रेणी में आता है.

चलिए आज इस खबर में आपको बताते हैं कि आज से दो दशक पहले तक देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर क्या था. इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि तब से अब तक इसमें कितनी बढ़ोतरी हुई है.

दो दशक पहले का प्रदूषण स्तर

देश की राजधानी दिल्ली हमेशा से ही अपने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जानी जाती रही है. लेकिन पिछले कुछ दशकों में, एक और पहलू ने इस शहर को चर्चा का विषय बना दिया है. हम बात कर रहे हैं वायु प्रदूषण की. मॉनसून जाने के कुछ दिनों बाद ही दिल्ली प्रदूषण की गिरफ्त में आ जाती है.

एबीपी न्यूज़ के अनुसार, अगर हम दो दशक पहले यानी 2001 की बात करें तो रिसर्च गेट डॉट नेट की रिपोर्ट के अनुसार, 2001 में दिल्ली का प्रदूषण स्तर अलग-अलग महीने में अलग-अलग रहा है. जैसे कुछ महीनों में दो बार एक्यूआई 300 से 400 के बीच था. जबकि, 68 बार 51 से 100 के बीच था. यहां बताए गए आंकड़े दिल्ली के प्रीतमपुरा इलाके के हैं.

आज दिल्ली की स्थिति क्या है

आज के समय में दिल्ली की स्थिति बेहद खराब है. दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में है. ठंड के मौसम में यहां की स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि आप बिना मास्क के बाहर नहीं निकल सकते. आंखों में जलन, सांस लेने में समस्या ये आम बात है. साल 2024 की बात करें तो जनवरी 2024 में दिल्ली की औसत एक्यूआई 354 थी. वहीं कुछ इलाकों में ये 400 के पार भी थी.

दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं

चलिए अब समझते हैं कि दिल्ली में इतने खतरनाक प्रदूषण के कारण क्या हैं. इसमें पहले नंबर पर है वाहनों की संख्या. बीते कुछ वर्षों में दिल्ली में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इस वक्त राजधानी में लगभग 1.5 करोड़ वाहन हैं. इसके अलावा छोटे और बड़े उद्योगों की संख्या में वृद्धि भी वायु प्रदूषण का एक कारण है. पराली जलाना भी दिल्ली के प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है. दरअसल, सर्दी के मौसम में दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में फसल के बाद पराली जलाने से वायु गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

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