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दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन, पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा अंतिम संस्कार

मुंबई: देश के महान उद्योगपित रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे. पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का मुंबई के एक निजी अस्पताल में बीती रात निधन हो गया. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार रात कहा कि उद्योगपति रतन टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. सीएम शिंदे ने कहा कि टाटा के पार्थिव शरीर को गुरुवार को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक एनसीपीए में जनता के सम्मान के लिए रखा जाएगा.

ईटीवी भारत की खबर के मुताबिक, टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार शाम मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. एक्स पर एक पोस्ट में सीएम शिंदे ने कहा कि 2008 के मुंबई हमले के बाद उनके द्वारा दिखाए गए दृढ़ संकल्प को हर कोई हमेशा याद रखेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके दृढ़ निर्णय, साहसी रवैये और सामाजिक प्रतिबद्धता को हमेशा याद रखा जाएगा. रतनजी टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि रतन टाटा का निधन देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर लिखा, “रतन टाटा के दुखद निधन से भारत ने एक ऐसे प्रतीक को खो दिया है जिसने राष्ट्र निर्माण के साथ कॉर्पोरेट विकास और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया. पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित महान रतन टाटा ने महान टाटा विरासत को आगे बढ़ाया और इसे और अधिक प्रभावशाली बनाया. उन्होंने अनुभवी पेशेवरों और युवा छात्रों को समान रूप से प्रेरित किया. परोपकार और परोपकार में उनका योगदान अमूल्य है. मैं उनके परिवार, टाटा समूह की पूरी टीम और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है. उन्‍होंने अपनी एक पोस्‍ट में रतन टाटा को दूरदर्शी बिजनेस लीडर, एक दयालु व्‍यक्ति और असाधारण इंसान बताया.

PM मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “मुझे श्री रतन टाटा जी के साथ अनगिनत बातचीत याद आ रहे हैं. जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो मैं उनसे अक्सर मिलता था. हम विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करते थे. मुझे उनका दृष्टिकोण बहुत समृद्ध लगा. जब मैं दिल्ली आया तो यह बातचीत जारी रही. उनके निधन से बेहद दुख हुआ. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के साथ हैं.”

साथ ही उन्‍होंंने कहा, ‘‘श्री रतन टाटा जी का सबसे अनूठा पहलू बड़े सपने देखना और दूसरों को कुछ देने के प्रति उनका जुनून था. वह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता, पशु कल्याण जैसे मुद्दों को आगे बढ़ाने में सबसे आगे रहे थे.”

हर्ष गोयनका ने कहा कि रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की मिसाल थे. उन्‍होंने बिजनेस और उससे अलग भी दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है. वह हमारी स्मृतियों में सदैव ऊंचे रहेंगे.

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, “हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं. वास्तव में एक असाधारण नेता हैं जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के मूल ढांचे को भी आकार दिया है.”

टाटा समूह ने अपने बयान में कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति है. उन्‍होंने न सिर्फ टाटा समूह को बल्कि देश को भी आगे बढ़ाया है.

एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, रतन टाटा के नेतृत्‍व में टाटा समूह ने बुलंदियों को छुआ. रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने थे और उसके बाद से ही उन्‍होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह 2012 तक इस पद पर रहे. उन्‍होंने 1996 में टाटा सर्विसेज और 2004 में टाटा कंसल्‍टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों की स्‍थापना की थी.

विनम्र व्यवहार के लिए विख्यात रतन टाटा टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट के साथ ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट भी शामिल हैं.

रतन टाटा का भारत के कारोबारी जगत में काफी अहम योगदान माना जाता है. उन्‍हें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किया गया था.

वह प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कानोन स्कूल, बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड के छात्र थे.

रतन टाटा का जन्‍म 28 सितंबर 1937 को हुआ था. उन्‍हें एक अरबपति होने के साथ ही एक सहदृय, सरल और नेक व्‍यक्ति के रूप में देखा जाता है. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्‍से हैं, जो बताते हैं कि उन्‍होंने बहुत से लोगों की मदद की. साथ ही देश की तरक्‍की में भी रतन टाटा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

टाटा को सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद कॉर्पोरेट, राजनीतिक और आम लोगों के बीच उनके स्वास्थ्य को लेकर अटकलें तेज हो गईं. बाद में, उन्होंने एक बयान जारी कर कहा था कि वह ठीक हैं और उम्र संबंधी बीमारियों से जुड़ी जांच के लिए अस्पताल में भर्ती हुए हैं.

इसके बाद कथित तौर पर उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था, हालांकि टाटा समूह के अधिकारियों ने किसी भी बात की पुष्टि या खंडन नहीं किया था.

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