Sambhal Masjid: संभल मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए हिंसा मामले में जेल में बंद जामा मस्जिद कमेटी के सदर ज़फर अली को निचली अदालत से बड़ी राहत मिली है. बीते रोज़ यानी कि मंगलावर, 15 अप्रैल को जफर अली संभल की निचली अदालत में पेश हुए थे. जहां उन्हें जमानत मिल गई.
जफर अली के खिलाफ एएसआई द्वारा दर्ज मामले में वारंट जारी किया गया था. जबकि एक अन्य मामले में समन जारी किया गया था. जिस वजह से दोनों मुकदमों में उनकी एक साथ अदालत में पेशी हुई थी.
अगली सुनवाई मई में होगी
जामा मस्जिद कमेटी के सदर ज़फर अली के वकीलों ने दोनों ही मामलों में अदालत से जमानत देने की गुहार लगाई थी. इस मामले में अब अगली सुनवाई मई में होगी. बता दें कि ज़फर अली के कोर्ट में पेशी के दौरान भारी संख्या में पुलिस बल तैनात थे.
क्या है पूरा मामला?
सदर कोतवाली में एएसआई ने मस्जिद कमेटी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया था कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर बिना इजाजत के स्टील की रेलिंग लगवाई गई. एएसआई ने कहा था कि ऐसा करने से पुरानी इमारत के मूल रूप को नुकसान पहुंचा है. एएसआई की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच की और मस्जिद कमेटी के खिलाफ चार्जशीटर दायर कर दी.
इसके साथ ही ज़फर अली पर 24 नवंबर को हुई हिंसा में भूमिका होने का भी आरोप है. इस आरोप के बाद उन्हें 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.
कैसे हुई थी हिंसा?
बता दें कि 24 नवंबर, 2024 को एएसआई की एक टीम शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंची थी. जहां हिंदूवादी संगठनों की भीड़ “जय श्री राम” सहित कई अन्य नारे लगा रही थी. इस दौरान मस्जिद के बाहर मुसलमान भी जमा थे. जहां पुलिस ने मुसलमानों को हटाने बल का इस्तेमाल किया फिर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों पर गोलियां भी चलाई. पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई में पांच मुसलमानों की मौत हो गई. पुलिस ने मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को “दंगाई” करार दिया और घटना के संबंध में कई मामले दर्ज किए.