Okhla News: जामिया नगर के बटला हाउस में कथित रूप से अवैध संपंत्तियों के गिराने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उचित अधिकारियों से संपर्क करने को कहा. वहीं कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई जुलाई में तय की.
बटला हाउस के सुल्ताना शाहीन समेत 40 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है.
‘वैध दस्तावेज होने के बावजूद घर गिराए जा रहे हैं’
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करण और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच से अपील की थी कि उनके मकान ऐसी जगह हैं जो प्रधानमंत्री उदय योजना (PM-UDAY) से बाहर हैं और फिर भी उनके वैध दस्तावेज होने के बावजूद घर गिराए जा रहे हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
बता दें कि बीते दिनों ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली दायर याचिका की सुनवाई को दौरान चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने शुरू में वकील से कहा कि वह नगर निगम अधिकारियों की ओर से जारी किए गए ध्वस्तीकरण नोटिस के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं. चीफ जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता से कहा था, ‘हाईकोर्ट जाइए.’
विधायक अमानतुल्लाह खान ने कहा
आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है कि जुलाई में कोर्ट खुलने के बाद एक नियमित पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. जो परिवार प्रभावित होने वाले थे, उन्हें पीएम-उदय के तहत आवेदन दाखिल करने के लिए कहा गया है.
‘डीडीए ने गलत रिपोर्ट दी’
अमानतुल्लाह खान ने आगे कहा कि यह बस्ती पिछले 40 सालों से है और अब अनधिकृत रूप से नियमित कर दी गई है. कॉलोनी पहले से ही संरक्षित है. डीडीए ने गलत तरीके से पिक एंड चूज का तरीका अपनाया है और गलत रिपोर्ट दी है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाया है नोटिस
बता दें कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने नोटिस लगाते हुए कहा है कि ग्राम ओखला के खसरा नंबर- 277 (खिज्र बाबा कॉलोनी, मुरादी रोड) में दिल्ली स्थित सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश सरकार की भूमि में अवैध रूप से कब्जा कर मकान और दुकान बनाए गए है. अवैध रूप से बनाए गए इन मकानों और दुकानों को 15 दिनों के अंदर हटा लें. ऐसा नहीं करने पर किसा भी नुकसान के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे.