Supreme Court On Madarsa Board: उत्तर प्रदेश में मदरसा की कई डिग्रियों की मान्यताओं को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने फाज़िल और कामिल कोर्स की डिग्रियों की मान्यताओं के मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार, यूजीसी (UGC) और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, यूजीसी (UGC) और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है.
टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया ने दायर की है याचिका
बता दें कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया की याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को यह निर्देश दे कि वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी को कामिल और फाज़िल की पढ़ाई कराने और डिग्री देने का अधिकार दे. साथ ही बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए जल्द से जल्ज सामाधान निकाला जाए.
साथ ही याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि इन डिग्रियों को वैधता मिलेगी तो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं, रोजगार व उच्च शिक्षा में भागीदारी कर सकेंगे.
उत्तर प्रदेश के मदरसों में कामिल (ग्रेजुएट) और फाज़िल (पोस्टग्रेजुएट) कोर्स की पढ़ाई कर रहे लगभग 37,000 छात्रों से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने फाज़िल और कामिल डिग्रियों को मान्यता देने से किया था इनकार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन एक्ट को संवैधानिक वैधता बरक़रार रखी थी, लेकिन फाज़िल और कामिल कोर्स की डिग्रियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि फाज़िल और कामिल की डिग्रियां यूजीसी एक्ट के तहत निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नहीं है.