वादिए हुदा (हैदराबाद): शिक्षकों के राष्ट्रीय पंजीकृत संगठन ऑल इंडिया आयडियल टीचर्स असोसिएशन ‘आइटा’ महाराष्ट्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय शिविर “है जुस्तजू के ख़ूब से है ख़ूबतर कहॉं” हाल ही में हैदराबाद में संपन्न हुआ।
पहले दिन के कार्यक्रम की शुरुआत फारूक ताहिर (SAC सदस्य आइटा तेलंगाना) जबकी दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत रियाज़ उल खालिक़ (उपाध्यक्ष आइटा महाराष्ट्र) द्वारा क़ुरआन की तिलावत से हुई।
अध्यक्षीय भाषण में शेख अब्दुल रहीम (राष्ट्रीय अध्यक्ष आइटा ) ने कहा कि शिक्षकों को अंतिम पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लाल्लाहू अलैही व सल्लम को अपना आदर्श बनाना चाहिए। अपने 23 वर्षों के जीवन में, पैग़म्बर सल्लाल्लाहू अलैही व सल्लम ने एक आदर्श समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयास किया। आज हमें पैग़म्बर (स.) का अनुसरण करने और अपनी शैक्षिक ज़िम्मेदारियों को ईमानदारी और विश्वासपूर्वक निभाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष ने शिविर के सफल आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए आइटा महाराष्ट्र को बधाई दी।
उन्होंने आइटा के कैडर से अपील की कि वह आइटा के लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहें, आत्मनिरीक्षण और निरंतर प्रयास करते रहें और संगठन के रणनीतिक कार्यक्रम के अनुसार काम करें और अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन करें।
सैयद शरीफ (प्रदेश अध्यक्ष, आइटा महाराष्ट्र) ने शिविर के मुख्य विषय,”है जुस्तजू के ख़ूब से है ख़ूबतर कहॉं” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास नहीं करता है तो वह जमूद का शिकार हो जाता है। इसलिए शिक्षकों को अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए हमेशा खुद को अपडेट रखना चाहिए। उन्होंने कहा, की शिक्षक आखिरी सांस तक ज्ञान प्राप्त करणे का प्रयास करते रहें। शिक्षकों को चाहिए कि वे सदैव सामाज परिवर्तन हेतू स्वयं को तयार रखें और अपने अंदर त्याग की भावना पैदा करें।

‘नेतृत्व कौशल क्यों और कैसे विकसित करें?’ इस विषय पर मार्गदर्शन देते हुए हामेद खान (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जमात इस्लामी हिंद, तेलंगाना) ने कहा कि नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए सबसे जरूरी है कि हम हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोन रखें तथा अपनी ग़लतियां सुधारें एवं अपने दायित्व को हमेशा ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि नेताओं को आत्म-जागरूकता, आत्मनिर्भरता, आत्म-परीक्षण, आत्म-विश्वास, अनुशासन, निर्णय लेने की क्षमता, अंतर्दृष्टि, मानवतावाद, तनाव प्रबंधन, निष्पक्षता और कड़ी मेहनत करने वाले रवैये की आवश्यकता है। इसी प्रकार एक नेता में ज्ञान के साथ-साथ विनम्रता, धैर्य के गुण भी होने चाहिए और नेता में आलोचना को सहन करने की क्षमता भी होनी चाहिए।
एम ए जलील (आइटा महाराष्ट्र के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष) ने ‘हुब्बे तन्ज़ीम और उस्के तक़ाज़े’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए कहा कि एक सच्चा आस्तिक वह है जो अल्लाह और उसके अंतिम पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से सच्चा प्यार करता है। और उनकी शिक्षाओं के अनुसार जीवन यापण करता है। उन्होंने यह भी कहा कि आत्म-जागरूकता, अनुशासन, त्याग और प्रतिबद्धता किसी भी ज़िम्मेदारी को ठीक से निभाने के लिए आवश्यक हैं।
इस अवसर पर असलम फ़ेरोज़ (राष्ट्रीय सचिव ) और आसिया तस्नीम (जमात इस्लामी हिंद, तेलंगाना की महिला राज्य समन्वयक) और इक़्बाल हुसैन (स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गनायझेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष) ने भी मार्गदर्शन किया।
मुहम्मद अतीक शेख (राज्य सचिव आइटा महाराष्ट्र) और रियाज़ उल खालिक़ (उपाध्यक्ष आइटा महाराष्ट्र) ने पीपीटी के माध्यम से रिपोर्ट और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर आइटा की मुंब्रा शाखा की ओर से तैयार ‘उर्दू फाउंडेशन कोर्स’ की पाठ्यक्रम पुस्तिका का विमोचन गणमान्यों के हाथों किया गया।
खलील शाह (अध्यक्ष आइटा मुंबई मंडल), शेख शकील (अध्यक्ष आइटा नांदेड़), साबिर शाह (सचिव आइटा परभणी) और इक़्बाल पाशा (मीडिया समन्वयक आइटा महाराष्ट्र) ने कुशलतापूर्वक सुत्रसंचलन किया।
इस प्रकार आइटा महाराष्ट्र का यह दो दिवसीय शिविर सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।