Uttarakhand Government Locks Many Madrasas: उत्तराखंड में सरकार द्वारा कई मदरसों को बंद करने के बाद बुधवार, 5 मार्च को कई मुस्लिम संगठनों ने देहरादून में विरोध प्रदर्शन किया. बता दें कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) ने कार्रवाई करते हुए कई मदरसों को सील कर दिया है.
मुस्लिम मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारी संख्या में लोग जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के बाहर जमा हुए और प्रशासन के इस कदम को अनुचित बताते हुए अपना विरोध जताया. हालांकि बाद में पुलिस द्वारा हस्तक्षेप करने और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद तनाव बढ़ गया.
‘कार्रवाई जानबूझकर रमजान के महीने में की गई’
प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम नेताओं ने बंद करने के समय की आलोचना करते हुए तर्क दिया कि यह कार्रवाई जानबूझकर रमजान के पाक महीने के दौरान की गई है..
एक मुस्लिम संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि यह भेदभाव का एक स्पष्ट मामला है,” उन्होंने इस बात पर रोशनी डाली कि न तो कोई पूर्व सूचना दी गई थी और न ही मदरसों और मस्जिदों को सील करने के कानूनी आधारों के बारे में कोई स्पष्टीकरण दिया गया था.
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उनका आंदोलन और बढ़ जाएगा. कुरैशी ने आगे जोर देकर कहा, “जिस मनमाने तरीके से यह किया गया है वह बर्दाशत के काबिल नहीं है. हम तत्काल स्पष्टीकरण और हमारे धार्मिक संस्थानों को फिर से खोलने की मांग करते हैं.”
मुस्लिम संगठन के लोगों को हिरासत में लिया
वहीं एसपी सिटी प्रमोद कुमार ने बताया कि मुस्लिम संगठन के लोग जिलाधिकारी कार्यालय में अपनी मांगों को लेकर पहुंचे थे. संगठन ने जिला प्रशासन की अधिकारियों से मुलाकात कर वापस जाने के लिए मना कर दिया था और वहीं धरने पर बैठ गए थे. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने मुस्लिम संगठन के लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें देहरादून पुलिस लाइन लेकर गई थी. कुछ देर बार सभी को छोड़ दिया गया था.
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में, एमडीडीए और जिला अधिकारियों ने चार मदरसों और एक मस्जिद को सील करते हुए उन्हें अवैध निर्माण करार दिया है. इस कार्रवाई के बाद मुस्लिम समुदाय में काफी गुस्सा देखा जा रहा है
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि अवैध निर्माण, अतिक्रमण को हटाया जाएगा. जिन लोगों ने अवैध निर्माण किया है उन्हें पहले ही सूचना दे दी गई है. उन्हें पहले ही कहा गया है कि वह खुद हटा लें नहीं तो प्रशासन हटा देगा.