वाराणसी: उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी के मुस्लिम मोहल्ले में मौजूद करीब 10 हजार दुकानें तोड़ी जाएंगी. ये दुकानें थोक बाजार दालमंडी की हैं. आपको बता दें कि इसे (दालमंडी) पूर्वांचल का सिंगापुर भी बोला जाता है. इस फैसले के पीछे की असल वजह है कि बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के लिये आने वाले भक्तों के आने-जाने में कोई दिक्कत ना हो.
दालमंडी बाजार से लगभग 150 मीटर दूर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का प्रमुख प्रवेश द्वार है. श्रद्धालुओं को कठिनाई न हो इसलिए 8 फीट की रोड को 23 फीट तक चौड़ा करने की तैयारी है. 900 मीटर की रोड पर अब तक 10 हजार दुकानों का सर्वे हो चुका है.
आपको बता दें कि इस अभियान के तहत पहले नगर निगम की टीम नापी करेगी. इसके बाद मकान और दुकान मालिकों को नोटिस जारी होगा. माप-जोख के बाद, मकान और दुकान मालिकों को नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें उनको अपने निर्माण को वैध बनाने के लिए निर्धारित समय सीमा दी जाएगी. नोटिस के बाद इस इलाके में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू होगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 20 दिसंबर को कमिश्नर कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में जिले में निर्माणाधीन 6 रोडो की समीक्षा बैठक हुई. बैठक में विभिन्न रोडों की स्थिति और उनके निर्माण कार्य की प्रगति पर काफी चर्चा की गई. इस दौरान कमिश्नर ने दालमंडी क्षेत्र की रोड के चौड़ीकरण कार्य को जल्द से पूरा करने के निर्देश दिए.
दालमंडी: पूर्वांचल का ‘सिंगापुर’
दालमंडी बाजार थोक और फुटकर व्यापार के लिए पूर्वांचल का प्रमुख केंद्र है. यहां 10 हजार से अधिक दुकानें हैं, जिनमें मोबाइल, कपड़ा, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स और ड्राई फ्रूट्स के कारोबार होते हैं.
मोबाइल बाजार: यहां 300 मीटर के दायरे में मोबाइल फोन और एसेसरीज की दुकानें सजी हुई हैं.
कपड़ा बाजार: यहां ब्रांडेड कपड़ों के डुप्लीकेट मटेरियल से लेकर पारंपरिक बनारसी परिधान तक मिलते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक बाजार: खिलौने, सजावटी सामान और डुप्लीकेट गैजेट्स की दुकानें इस बाजार की पहचान हैं.
दुकानदार अशोक पांडेय कहते हैं, “किराए पर दुकान चलाने वाले पूरी तरह बेरोजगार हो जाएंगे.” वहीं वामिक ने कहा, “होलसेल बाजार खत्म हो जाएगा और यहां सिर्फ खाने-पीने की दुकानें रह जाएंगी.” कासिम रजा ने चिंता जताई कि छोटे दुकानदारों के लिए यह अस्तित्व का संकट बन जाएगा.
प्रस्तावित बदलाव और सरकार का तर्क
काशी विश्वनाथ धाम को सुगम बनाने के लिए यह विकास परियोजना जरूरी मानी जा रही है. पार्षद इंद्रेश कुमार ने कहा, “रास्ता चौड़ा होने से इमरजेंसी सेवाएं बेहतर होंगी और पर्यटकों की सुविधा बढ़ेगी.”
दालमंडी बाजार बनारसी नृत्य और संगीत का केंद्र हुआ करता था.
भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने दालमंडी के महत्व को स्वीकारा था.
साहित्यकार जयशंकर प्रसाद और भारतेंदु हरिश्चंद्र की कहानियों में इस जगह का उल्लेख मिलता है.
यह इलाका बनारसी रईसी और संस्कृति का प्रतीक था.
दालमंडी का चौड़ीकरण स्थानीय व्यापारियों और काशी की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक चुनौती बन गया है.