नॉर्वे विश्वविद्यालय ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हर्ष मंदर को नामित किया

शांति अनुसंधान संस्थान ओस्लो (Peace Research Institute Oslo) के निदेशकों ने परंपरा के अनुसार नोबेल शांति पुरस्कार समिति को अपनी व्यक्तिगत सिफारिशें दी हैं. भारतीय मानवाधिकार ऐक्टिविस्‍ट और पूर्व आईएएस हर्ष मंदर के नेतृत्व वाले संगठन ‘कारवाने मोहब्बत’ ने इस सूची में जगह बनाई है.

द सियासत डेली खबर के अनुसार, निर्णय शांति अनुसंधान संस्थान ओस्लो की एक पांच व्यक्ति समिति द्वारा किया गया था और वर्तमान निदेशक हेनरिक उरदल द्वारा प्रस्तुत किया गया था. पांच नामों (और संगठनों) की सूची में ‘धार्मिक उग्रवाद से लड़ने और अंतर्धार्मिक संवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देने’ में उनके योगदान के लिए जिनमें हर्ष मंदर भी शामिल हैं.

यह ध्यान देने योग्य है कि शांति अनुसंधान संस्थान ओस्लो नामांकन को सम्मानजनक माना जाता है, लेकिन संस्थान और उसके निदेशक का नोबेल संस्थान या नॉर्वेजियन नोबेल समिति से कोई संबंध नहीं है और अंतिम निर्णय पर इसका कोई असर नहीं होगा.

पुरस्कार विजेता की घोषणा अक्टूबर में की जाएगी. हालाँकि, उरदल का नोबेल संस्थान या नॉर्वेजियन नोबेल समिति से कोई संबंध नहीं है.

‘हर्ष मंदर, कारवाने मोहब्बत और ऑल्ट न्यूज़’

द क्विंट खबर के अनुसार, उरदल के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने के पीछे एक ‘सम्मोहक तर्क’ ‘धार्मिक उग्रवाद से लड़ना और अंतर्धार्मिक संवाद को बढ़ावा देना’ है, और इसलिए इस पुरस्कार के योग्य प्राप्तकर्ता हर्ष मंदर अपने अभियान ‘कारवाने मोहब्बत’ के ज़रिये चुने जाते हैं.

उरदल के बयान में कहा गया, ‘महात्मा गांधी की छवि से सजी भारत में धार्मिक सहिष्णुता और बहुलवाद की गौरवपूर्ण परंपरा रही है. भारत को आजादी मिलने के 75 साल बाद भी यह परंपरा तनाव में है.’

उनके बयान में कहा गया है, ‘नरेंद्र मोदी के हिंदू राष्ट्रवादी प्रशासन के तहत, भारत में मुसलमानों की हालत काफी कठिन हो गई है, और देश ने धार्मिक रूप से प्रेरित हिंसा की कई घटनाएं देखी हैं.’

उन्होंने आगे कहा, इस हिंसा का जवाब मंदर है, जो ‘धार्मिक सहिष्णुता और संवाद’ और उनके अभियान ‘कारवाने मोहब्बत’ के लिए एक महत्वपूर्ण आवाज है, जो ‘अंतरधार्मिक संघर्ष और हिंसा का विरोध करने वालों’ के लिए एक महत्वपूर्ण रैली बिंदु है.

कारवाने मोहब्बत एक अभियान है जिसे 2017 में घृणा अपराधों के पीड़ितों के समर्थन और एकजुटता दिखाने के लिए शुरू किया गया था. मंदर नई दिल्ली में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के निदेशक भी हैं.

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल सितंबर में हर्ष मंदर के घर और कार्यालय पर छापा मारा था.

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