नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा के हालिया मामलों पर 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और उनसे ‘नफरत की राजनीति’ को समाप्त करने का अनुरोध किया है. पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुप्पी तोड़ने को कहा है और कहा कि आप की चुप्पी गूंज रही है.
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई, दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के प्रमुख सचिव टीकेए नायर पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल हैं.
पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री ‘नफरत की राजनीति’ को समाप्त करने का आह्वान करेंगे. पत्र के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नियंत्रण वाली सरकारों में कथित तौर पर इस पर ‘कठोरता से जोर’ दिया जा रहा है. पूर्व नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में कहा, हम देश में नफरत से भरी तबाही का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान भी है.
उन्होंने पीएम से नफरत की राजनीति को खत्म करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के आपके वादे को दिल से लेते हुए आपकी अंतरात्मा से अपील करते हैं. यह हमारी प्रिय आशा है कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के इस वर्ष में, पक्षपातपूर्ण विचारों से ऊपर उठकर, आप कॉल करेंगे, नफरत की राजनीति को खत्म करने के लिए आपकी पार्टी के नियंत्रण वाली सरकारें इतनी मेहनत से काम कर रही हैं.’
इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों- असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत व हिंसा में वृद्धि ने एक भयावाह हासिल कर लिया है. पत्र में कहा गया है कि दिल्ली को छोड़कर इन राज्यों में बीजेपी की सरकार है और दिल्ली में पुलिस पर केंद्रे का नियंत्रण है. इसलिए आप से उम्मीद है कि आप नफरत की राजनीति को ख़त्म करने का आह्वान करेंगे.