अमेठी (भेटुआ): ग्रामीण विकास की पहली इकाई है ग्रामसभा. गांव के समग्र विकास के लिए ग्राम प्रधान तथा चयनित वार्ड सदस्य गांव के नागरिकों के साथ मिल बैठकर गांव के विकास की रूपरेखा तैयार करते हैं कार्ययोजना बनाते हैं.
सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत भवन बनवाए हैं ताकि यहां खुली बैठकों का आयोजन हो सके. इसके साथ सरकार द्वारा सभी गांव में वाचनालय बनने की व्यवस्था बनाई गई है लेकिन धरातल पर सच्चाई अलग ही दिख रही है.
गांव में न ही पंचायत भवन है और न ही वाचनालय का पता चल रहा है. जनपद के विकास खंड भेटुआ के ग्रामसभा बंदोइया सहित आधा दर्जन से अधिक गांव (सरूवावा, थौरा, भेटुआ, पूरब दुआर, नौगिरवा) में पंचायत भवन अधूरा पड़ा हुआ है.
वहीं कुछ ग्राम के ग्रामीणों द्वारा गांव में वाचनालय की मांग की जा रही है लेकिन अधिकारी द्वारा लगातार हीलाहवाली की जाती है. गांव में बना पंचायत भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. गांव में तैनात पंचायत सहायक घर बैठकर वेतन ले रहे हैं.
सरकार द्वारा गांव में पंचायत भवन में कंप्यूटर, कुर्सी, कैमरा सहित अन्य व्यवस्था की गई है. लेकिन धरातल पर सब कुछ नदारद ही दिख रहा है.

गांव के पंचायत भवन में न तो बिजली, पंखा का पता है और न ही पानी की टोटी और हैंडपंप है. ऐसे में ग्राम पंचायतों की खुली बैठक पेड़ की छांव में अथवा टेंट लगाकर होती है.
इसका कारण यह भी हो सकता है कि एक-एक ग्राम पंचायत अधिकारियों के जिम्मे आधा दर्जन से अधिक ग्राम सभाओं की जिम्मेदारियां, जिसके चलते ग्राम पंचायत की खुली बैठक उनके बस्ते तक ही सिमट कर रह गई है.
विकास खंड के एडीओ पंचायत का कहना है कि जहां पंचायत भवन नहीं है, वहां प्राथमिक विद्यालय के एक अतिरिक्त कमरे में चलाया जा रहा है, जहां पंचायत सहायक रहकर ड्यूटी करते हैं.

