PM Modi Praised RSS: पीएम मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की जमकर तारीफ की. पीएम मोदी के इस भाषण को विपक्ष ने स्वतंत्रता संग्राम का अपमान बताते हुए विरोध किया. AIMIM के चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के भाषण में RSS की तारीफ करना आजादी की लड़ाई का अपमान है. इसके साथ ही कांग्रेस और RJD ने भी इसका विरोध किया है. आईए जानते हैं कि पीएम मोदी द्वारा RSS की तारीफ करने पर विपक्ष ने क्या- क्या कहा है..
‘RSS की तारीफ करना आजादी की लड़ाई का अपमान’
असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस के भाषण में RSS की तारीफ करना आजादी की लड़ाई का अपमान है. RSS और उससे जुड़ी विचारधारा वाले संगठन ब्रिटिश राज के समय उनके लिए मददगार बने रहे. उन्होंने कभी भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया और गांधी जी से इतनी नफरत की, जितनी शायद अंग्रेजों से भी नहीं की.
ओवैसी ने कहा असली इतिहास जानना क्यों जरूरी?
ओवैसी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि हमें असली इतिहास जानना और असली नायकों को याद करना क्यों जरूरी है. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो वो दिन दूर नहीं, जब कायरता को ही सबसे बड़ी बहादुरी बताया जाने लगेगा.
Glorifying the RSS in an Independence Day speech is an insult to the freedom struggle. The RSS and its ideological allies served as British foot soldiers. They never joined the fight for independence and hated Gandhi more than they ever opposed the British.
Happy…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 15, 2025
RSS समावेशी राष्ट्रवाद के उन मूल्यों को नकारता है जिनसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा मिली थी. हिंदुत्व की विचारधारा बहिष्कार में विश्वास करती है और हमारे संविधान के मूल्यों के विपरीत है.
औवेसी ने कहा कि मोदी एक स्वयंसेवक के तौर पर नागपुर जाकर RSS की तारीफ कर सकते थे, तो उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर लाल किले से ऐसा क्यों करना पड़ा?
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस सांसद और पार्टी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि मोदी द्वारा RSS का जिक्र ‘एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का खुला उल्लंघन’ और ‘संगठन को खुश करने की एक हताश कोशिश’ है.
‘सबसे चिंताजनक लाल किले से RSS का नाम लेना’
जयराम रमेश ने कहा कि आज प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे चिंताजनक पहलू लाल किले की प्राचीर से RSS का नाम लेना था – जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का खुला उल्लंघन है. यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले संगठन को खुश करने की एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है. 4 जून 2024 की घटनाओं के बाद से निर्णायक रूप से कमजोर पड़ चुके प्रधानमंत्री अब पूरी तरह मोहन भागवत की कृपा पर निर्भर हैं, ताकि सितंबर के बाद उनका कार्यकाल का विस्तार हो सके.
The PM’s speech from the ramparts of the Red Fort today was stale, hypocritical, insipid, and troubling.
The same recycled slogans about Viksit Bharat, Atmanirbhar Bharat, and “Sabka Saath, Sabka Vikas” have been heard year after year with little to show in terms of measurable…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 15, 2025
RJD ने क्या कहा ?
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने पीएम मोदी के भाषण पर प्रतिक्रया देते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस का भाषण इतिहास को तोड़- मरोड़कर पेश करने और राजनीति करने का अवसर नहीं था.
उन्होंने कहा कि उनकी भाषा समावेशी होनी चाहिए. यह मौका सिर्फ दिखावटी राजनीति, कूट संदेश देने और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का नहीं था.
पीएम मोदी ने RSS की जमकर तारीफ की
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से RSS की तारीफ करते हुए कहा कि मैं अत्यंत गर्व के साथ यह व्यक्त करना चाहता हूं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी संस्था की स्थापना 100 वर्ष पूर्व हुई थी. राष्ट्र सेवा के इसके 100 वर्ष अत्यंत गौरवपूर्ण और गौरवशाली रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 100 वर्षों से RSS के स्वयंसेवक मातृभूमि के कल्याण हेतु व्यक्ति निर्माण और राष्ट्र निर्माण के संकल्प को पूरा करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है और समर्पित सेवा के 100 वर्षों का गौरवशाली इतिहास रखता है.
पीएम मोदी ने आगे कहा था कि RSS का 100 साल का सेवा-त्याग का इतिहास है. आज लाल किले की प्राचीर से 100 साल की इस राष्ट्रसेवा की यात्रा में योगदान करने वाले सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण करता हूं.

