APCR Hate Crimes Report: देशभर में पिछले कुछ समय में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा आम हो गई है. बड़े- बड़े पद पर बैठे नेता खुलेआम मंचों से मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ और विवादित बयान दे रहे हैं. इसी बीच एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) ने बीते 20 जून को एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के तीसरे कार्यकाल के पहले साल में मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा के बारे में बताया गया है.
पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले साल मुसलमानों के खिलाफ 419 घटनाएं
APCR की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले साल 7 जून 2024 और 7 जून 2025 के बीच मुसलमानों के खिलाफ 419 घटनाएं हुई, जिसमें 1,460 मुसलमान इससे प्रभावित हुए. इनमें से कम से कम 29 मुसलमान मारे गए. इन हिंसाओं के 173 घटनाओं में शारीरिक हिंसा शामिल थी.
वहीं मुसलमानों के अलावा ईसाई के खिलाफ भी हिंसा के काफी मामले देखे गए. पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले साल ईसाईयों के खिलाफ 85 घटनाएं हुई, जिनमें 1504 लोग प्रभावित हुए.
बीजेपी के 178 नेताओं ने नफरती बयान दिए
APCR की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले साल 345 नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए. इनमें से 178 भाषणों का संबंध सीधे बीजेपी से रहा. यानी कि बीजेपी के 178 नेताओं ने नफरती बयान दिए.
नफरती भाषण देने वालो में खुद पीएम मोदी भी शामिल
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि नफरती भाषण देने वालो में खुद पीएम मोदी भी शामिल है. पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले साल में पांच नफरती भाषण दिए.
345 नफरती भाषणों में 139 नफरती बयान निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए, जिनमें 63 बीजेपी के मुख्यमंत्रियों द्वारा और 71 अन्य सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा दिए गए.
पीएम मोदी के अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, दो न्यायाधीशों और एक राज्यपाल ने भी नफरती बयान बाजी की.
नफरत बढ़ाने में यह प्रदेश सबसे उपर
APCR की रिपोर्ट के अनुसार, नफरती भाषण देने के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा. इसके बाद मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में सबसे ज्यादा नफरती और भड़काऊ भाषण दिए गए.