जौनपुर के बदलापुर में पुलिस ने दलित महिलाओं के कपड़े उतारकर पीटा, पीड़ित परिवार में दहशत

उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर के बदलापुर थाना क्षेत्र की रहने वाली दलित महिलाओं ने पुलिस पर बहुत ही बेहरमी से पीटने और अत्याचार करने का आरोप लगाया है. इन महिलाओं के आरोप अगर सही हैं तो इनके जिस्मों पर जख्म दरअसल यूपी पुलिस की वर्दी पर भद्दे दाग हैं. वीडियो में दलित महिलाओं ने रो-रोकर जो दर्द बयां किया है वो हिला देने वाला है. महिलाओं से अपना पूरा दर्द बयां नहीं हुआ इन्होंने कपड़े हटाकर अपने जख्म दिखाए. महिलाओं के पैर और जांघों पर पिटाई के काले निशान साफ दिखे.

गौरतलब है कि पुलिस कप्तान को अपनी व्यथा सुनाने के लिए आई महिलाओं ने बताया कि गांव के ही कुछ लोगों से विवाद हो गया था. विवाद के बाद विपक्षी पक्ष के लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए नाबालिग बच्चों के साथ साथ महिलाओं को इतनी बुरी तरह से कपड़ा उतारकर पीटा कि उनकी चमड़ी काली हो गई. अब देखना ये होगा कि पुलिस पर प्रशासन क्या कार्रवाई करती है?

महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने घर में घुसकर हम लोगों को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर अपमानित करने के साथ साथ बुरी तरह से पीटा और मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी भी दी. विदित हो कि थाना बदलापुर के ग्राम देवरिया निवासी शीला पत्नी राम प्रसाद ने एक प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक को देकर न्याय की गुहार लगाई है.

महिलाओं का आरोप है कि बस्ती के पास ही बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर की मूर्ति स्थापित करके चबूतरा बना दिया गया है जिससे बस्ती में रहने वाली राधा पुत्री जियालाल, जियालाल पुत्र बुद्धू आदि रंजिश रखने लगे. 20 मार्च की सुबह करीब 8 बजे बस्ती के दबंग अजय दुबे पुत्र सत्यनारायण दूबे के उकसाने पर मेरी नाबालिग पुत्री अंजली उम्र 15 साल व अन्य बच्चे चबूतरे से होकर जा रहे थे कि उसी समय दीपक, संदीप पुत्रगण बंशी गालियां देते हुए अश्लील हरकतें करने लगे जिससे दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया.

वहीं पुलिस की ओर से महिलाओं के आरोपित होने और उनका मेडिकल कराए जाने के साथ ही उन पर आपराधिक मामला होने की जानकारी दी गई है. पुलिस ने कहा है कि थाने में महिलाओं के साथ अभद्रता अथवा मारपीट नहीं की गई है. सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे आरोप असत्य और निराधार हैं.

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