Sambhal News: संभल शाही मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली को रविवार, 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया है.इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. जहां कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद के अध्यक्ष जफर अली की जमानत अर्जी खारिज कर दी.
बता दें कि एडवोकेट जफर अली के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उम्र कैद और फांसी की सजा की धाराएं लगाई गई हैं. यह एफआईआर संभल कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक दीपक राठी ने दर्ज कराई है.
जफर अली पर यह धाराएं लगाई गई
पुलिस ने संभल शाही जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली पर भारतीय दंड संहिता की धारा 230 और 231 के तहत मामला दर्ज किया है. वहीं इस मामले में सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल को भी नामजद किया गया है.बता दें कि ए़डवोकेट जफर अली पर सख्त धाराएं लगाई हैं. इसके तहत धारा 230 में सजाए मौत और 231 में उम्र कैद की सजा का प्रावधान है.
‘मैंने कोई हिंसा नहीं भड़काई’
जफर अली को बीते साल नवंबर को संभल मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के लगभग चार महीने बाद गिरफ्तार किया है. पुलिस ने जफर अली पर भीड़ को भड़काकर दंगा कराने का आरोप लगया है. हालांकि, चंदौसी कोर्ट में पेशी के दौरान जफर अली ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा, “मैंने कोई हिंसा नहीं भड़काई.”
क्या था पूरा मामला?
बता दें कि 24 नवंबर, 2024 को एएसआई की एक टीम शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंची थी. जहां हिंदूवादी संगठनों की भीड़ “जय श्री राम” सहित कई अन्य नारे लगा रही थी. इस दौरान मस्जिद के बाहर मुसलमान भी जमा थे. जहां पुलिस ने मुसलमानों को हटाने बल का इस्तेमाल किया फिर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों पर गोलियां भी चलाई. पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई में पांच मुसलमानों की मौत हो गई. पुलिस ने मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को “दंगाई” करार दिया और घटना के संबंध में कई मामले दर्ज किए.