दिल्ली हिंसा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस, अरुंधति रॉय, प्रोफेसर अपूर्वानंद और सईदा हमीद ने कही ये बात, पढ़ें खबर

दिल्ली में हुए दंगे को लेकर दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य विषय ‘दण्ड से मुक्ति और अन्याय’ था जिसमें देश के बड़े बड़े लेखक, प्रोफ़ेसर और पत्रकार शामिल हुए और सभी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के बारे में अपना अपना विचार रखा. इसमें भारतीय लेखक अरुंधति रॉय, प्रोफेसर अपूर्वानंद, सामाजिक कार्यकर्ता सईदा हमीद, सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान, प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी ,सीनियर पत्रकार पामेला फिलिपोस ने भाग लिया.

प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में दिल्ली दंगे को लेकर बात करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने अपना विचार रखते हुए कहा कि हिंसा कोई एक वक़्त में घटने वाली घटना नहीं होती है जो उसी वक़्त समाप्त हो जाये. हिंसा पहले से चली आ रही प्रक्रिया का नतीजा होती है और उसके बाद वह अनेक दूसरी प्रक्रियाओं को जन्म देती है जिन पर हमारा बस नहीं चलता.

उन्होंने कहा कि हमेशा से ये भ्रम हम लोग रखते हैं कि हिंसा करने वाले बाहरी थे, इस भ्रम से जितना जल्दी हम सब खुद को निकाल लें ज़्यादा बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि हमलावर मोहल्ले के लोग थे, हमलावर पडोसी थे, जिन्होंने पहचान करवाई, लूट में मदद की, लूट में शायद हिस्सा भी लिया और हिंसा में भी भाग लिया. वीडियो देखें…

दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में दिल्ली दंगे को लेकर बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सईदा हमीद ने कहा कि पुलिस का जो रोल है उस पर गौर करिये. हर तरफ से पुलिस ने इतनी कॉम्प्लिसिटी दिखाई है, इस तरह से तोड़-मरोड़ के, हिंसा कर के, लोगों के अंदर गोलियां उतारीं हैं. उन्होंने एक तरह से लोगों को बेबस बना दिया है, ये है हमारी भारत सरकार का रोल और उसपे आप गौर करिये.

अब आप दिल्ली सरकार पर गौर करिये जिनके पास इतना इतना पैसा है कि आप एक मौत पर एक करोड़ दे रहे हैं और दूसरी तरफ एक और मौत पर पांच लाख देते हैं तो इसपर भी गौर करिये. उन्होंने कहा कि जो हिन्दू और मुस्लिम के बीच खाई है उसको गहराते चले जा रहे हैं.. अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें…

United Against Hate के फाउंडर नदीम खान ने कहा कि दंगा करने वाले जो लोग थे वह जेल में थे तो मैं भारतीय नागरिक होने के नाते सवाल करता हूं कि जब कपिल मिश्रा और रागिनी तिवारी नारे लगवा रहे थे कि मुल्लों को काटो, तो वहीं पर उसी चौराहे पर मौजपुर के, गुलफिशां फातिमा बच्चों का इंडियन कंस्टीटूशन का क्लास ले रहीं थीं. जब वहां पर कपिल मिश्रा मुसलमानों को मारने के लिए स्ट्रेटेजी बना रहे थे तो उमर खालिद कह रहे थे इस आंदोलन को अहिंसा से चलाएंगे. जब अनुराग ठाकुर गोली मारो सालों को नारा लगा रहे थे तो जंतर मंतर पर खालिद सैफी संविधान की प्रस्तावना पढ़ रहे थे, तो अब यह सवाल पैदा होता है कि अब यह तय कैसे करेंगे कि किस आदमी ने क्या किया? किस आदमी ने क्या नहीं किया?. अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें…

वहीं, भारतीय लेखक अरुंधति रॉय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा, दंगा नहीं, बल्कि पूर्वयोजित नरसंहार था’ और दुनिया भर में ये होता है जब कोई शाशन आती है और लोगों के ज़रिये एक समाज के अंदर नफरत पैदा करने के लिए कोशिश करते हैं और बाद में मरहम लगाने के लिए कहते हैं कि लोग बहार से आये थे लेकिन ये दंगा राजनीति से प्रेरित था…

प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘पीड़िता ने बताया उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगाई मेरे अपने क्लासमेट थे’. वीडियो देखें…

 

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीनियर पत्रकार पामेला फिलिपोस ने भी हिस्सा लिया और उन्होंने ने कहा कि ‘उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा के चार्जशीट को एक बार जरूर देखिये’. वीडियो देखें…

बता दें कि 23 फरवरी से 26 फरवरी, 2020 के दौरान सीएए आंदोलन के बीच में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 580 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे.

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