रूस में यूक्रेन पर हुए हमले के खिलाफ दर्जनों शहर में विरोध प्रदर्शन हुए. पुलिस ने 1700 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है. रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर क्रेमलिन ने कहा कि यूक्रेन को ‘आजाद’ करवाने और ‘नाजियों से खाली करवाने’ की जरूरत है. और, उसे भरोसा है कि रूसी जनता इस युद्ध का समर्थन करेगी.
मगर जैसे-जैसे यूक्रेन से हमले की तस्वीरें आने लगीं और वहां हो रही मौतों के बारे में पता चला, कई जानी-मानी हस्तियों ने युद्ध के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए. शाम होते-होते खबरें आने लगीं कि रूस के कई शहरों में हजारों की संख्या में लोग ऐंटी-प्रोटेस्ट कानून तोड़कर युद्ध का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं.
रूसी प्रशासन ने युद्ध का विरोध करने वालों को प्रदर्शनों में शामिल ना होने की चेतावनी दी थी. गंभीर अपराधों की जांच करने वाली सरकारी एजेंसी ‘दी इन्वेस्टिगेटिव कमेटी’ ने रूसी जनता को चेताते हुए कहा कि प्रदर्शनों में शामिल होने के कानूनी नतीजे भुगतने होंगे. कमेटी ने कहा, ‘लोगों को पता होना चाहिए कि ऐसी गतिविधियों का कानूनी नतीजा क्या हो सकता है.’
चेतावनियों के बावजूद मॉस्को के पुश्किन स्क्वेयर के पास हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए. वे ‘नो टू वॉर’ के नारे लगा रहे थे. रूसी संसद के निचले सदन ‘स्टेट डुमा’ के मुख्य दरवाजे पर भी प्रदर्शनकारियों ने स्प्रे पेंट से ‘नो टू वॉर’ लिख दिया.
पूर्व राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग में भी करीब एक हजार प्रदर्शनकारियों ने युद्ध-विरोधी प्रदर्शन किया. यहां 27 साल की प्रदर्शनकारी स्वेत्लाना वोल्कोवा ने कहा, ‘मुझे महसूस हो रहा है कि प्रशासन पागल हो गया है. दुष्प्रचार के सहारे लोगों को मूर्ख बनाया गया है.’ यहां तीन पुलिसकर्मी एक युवा प्रदर्शनकारी को घसीटकर ले जाते दिखे. घसीटे जाते समय वह चीख रहा था, ‘किससे लड़ रहे हो तुम लोग? पुतिन को गिरफ्तार करो.’
रूस में ओवीडी-इंफो नाम का एक मानवाधिकार मीडिया प्रोजेक्ट विपक्ष रैलियों में हुई गिरफ्तारियों के आंकड़े जमा करता है. उसके मुताबिक, 24 फरवरी को युद्ध-विरोधी रैलियों में हिस्सा लेने के चलते 53 शहरों में लगभग 1700 लोगों को हिरासत में लिया गया. इनमें सबसे ज्यादा 700 प्रदर्शनकारी राजधानी मॉस्को और 400 प्रोटेस्टर सेंट पीटर्सबर्ग में पकड़े गए. हालिया सालों में रूस ने विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ सख्ती बढ़ा दी हैं. प्रोटेस्ट के खिलाफ कानून कड़े कर दिए गए हैं. विरोध प्रदर्शनों में अक्सर ही बड़े स्तर पर गिरफ्तारियां होती हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की (President Volodymyr Zelensky) के अनुसार, रूस के हमले के पहले दिन 137 लोगों की जान चली गई है. उन्होंने कहा कि आज हमने अपने 137 हीरो, अपने नागरिकों को खो दिया है. जबकि 316 लोग घायल हुए हैं. इसके अलावा उन्होंने इस युद्ध में किसी का साथ न मिलने की बात भी कही. राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि उनके देश को रूस से लड़ने के लिए छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा, ‘हमारे साथ लड़ने के लिए कौन खड़ा है? मुझे कोई नहीं दिख रहा है. यूक्रेन को नाटो सदस्यता की गारंटी देने के लिए कौन तैयार है? हर कोई डरता है.
वहीं, यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने का एलान किया है. बाइडेन ने कहा, पुतिन हमलावर हैं, उन्होंने युद्ध को चुना. अब वे और उनका देश हमले के नतीजे भुगतेगा. बाइडेन ने कहा, दुनिया के ज्यादातर देश रूस के खिलाफ हैं. हालांकि, बाइडेन ने साफ कर दिया कि वे यूक्रेन में अपनी सेना नहीं भेजेंगे. बाइडेन ने कहा कि वे नाटो देशों की इंचभर भी जमीन की रक्षा करेंगे. हम G-7 देश मिलकर रूस को जवाब देंगे. VTB समेत रूस के 4 और बैंकों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे. बाइडेन ने कहा, रूस के राष्ट्रपति पुतिन से बात करने की मेरी कोई योजना नहीं है. वह पूर्व सोवियत संघ को फिर से स्थापित करना चाहते हैं. मुझे लगता है कि उनकी महत्वाकांक्षा उस जगह के बिल्कुल विपरीत हैं, जहां इस समय हम हैं.
इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा एवं प्रतिबंधों को नजरंदाज करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने अन्य देशों को चेतावनी दी कि रूसी कार्रवाई में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के प्रयास के ‘ऐसे परिणाम होंगे, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे होंगे.’ इसका अर्थ यह भी निकाला जा रहा है कि पुतिन सीधे तौर पर नाटो (NATO) और अमेरिका (US) को यह चेतावनी दे रहे हैं कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच हस्तक्षेप ना करें अन्यथा उन्हें भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
(डी डब्लू से इनपुट के साथ)