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‘जुमा साल में 52 होली 1 बार’, रंगों से इतनी दिकक्त तो घर से न निकलें, संभल CO का विवादित बयान

संभल के CO अनुज चौधरी ने कहा, "जुमा साल में 52 बार आता है, होली साल में 1 बार आती है. मुस्लिम समुदाय के लोगों को यदि ये लगता है कि होली के रंग से आपका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा तो उस दिन घर से न निकलें."

Sambhal News: मुसलमानों के सबसे पाक महीनें रमजान की शुरुआत 2 मार्च से शुरु हो गई है और आज यानी की 7 मार्च को रमजान का पहला जुमा है. एक तरफ जहां मुसलमान रमजान के पहले जुमे को लेकर काफी खुश हैं तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी के जुमे को लेकर बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है. तो आईए जानते हैं कि अधिकारी ने जुमे को लेकर क्या बयान दिया है.

होली और जुमा एक ही दिन

बता दें कि इस साल होली 14 मार्च को है और इसी दिन रमजान का दूसरा जुमा भी है. इसके लेकर उत्तर प्रदेश प्रशासन मुस्तैद है. और खास कर संभल में प्रशासन की पैनी नजर है. इसी बीच शांत समिति की बैठक हुई थी, जहां एक पुलिस अधिकारी ने बयान दिया था.

‘धर्म भ्रष्ट हो जाएगा तो उस दिन घर से न निकलें’

दरअसल, संभल के सर्किल अधिकारी (CO) अनुज चौधरी ने गुरुवार, 7 मार्च शांति समिति की बैठक के दौरान कहा, “जुमा साल में 52 बार आता है, होली साल में 1 बार आती है. मुस्लिम समुदाय के लोगों को यदि ये लगता है कि होली के रंग से आपका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा तो उस दिन घर से न निकलें.”

अनुज चौधरी ने आगे कहा कि अगर होली के दिन घर से बाहर निकल रहे हैं तो उनका इतना बड़ा दिल होना चाहिए कि सभी एक जैसे हैं रंग तो रंग है. जिस तरह मुस्लिम समुदाय पूरे साल ईद का इंतजार करता है उसी तरह से होली का भी इंतजार हिंदू पक्ष करता है. होली रंग डालकर मिठाई खिलाकर मनाई जाती है और ईद में भी लोग सेवइयां बनाते हैं और एक-दूसरे के यहां जाते हैं. इसलिए आप एक-दूसरे का सम्मान करें.

इससे पहले भी बयानों को लेकर चर्चा में रहे

बीते साल 24 नवंबर 2024 को संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी. जहां हिंसा में चार युवकों की जान गई थी. इस दौरान सीओ अनुज चौधरी के पैर में गोली लगी थी. उन पर फायरिंग करने का आरोप है.

हिंसा के बाद सीओ अनुज चौधरी का एक वीडियो इंटरव्यू सामने आया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि आप कह रहे हो कि पुलिस की तरफ से गोली चली है. कोई पिस्टल तान रहा है तो हो सकता है कि दिखाने के लिए भी ऐसा कर रहा हो. हमें आत्मरक्षा का अधिकार है. हम मरने के लिए पुलिस में भर्ती नहीं हो रहे हैं. हमारे बच्चे हैं, परिवार हैं. एक पढ़े लिखे आदमी को इस तरह एक जाहिल मार देंगे? एक जीवन खत्म होता है. पुलिसवाले का परिवार भी है. पुलिसवाले की सिचुएशन भी तो समझिए.

 

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