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संभल शाही मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने किया गिरफ्तार…जानें क्या- क्या आरोप लगाए?

पुलिस ने संभल शाही जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के सदर और एडवोकेट जफर अली को पिछले साल नंवबर में सर्वे के दौरान हुए हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया है.

Sambhal News: संभल शाही जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के सदर और एडवोकेट जफर अली को पुलिस ने रविवार, 23 मार्च को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने जफर अली को पिछले साल नंवबर में सर्वे के दौरान हुए हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया है.

पुलिस ने कहा..

पुलिस के अनुसार, जफर अली को सबसे पहले सर्वे की जानकारी दी जाती थी. 19 नवंबर को सर्वे होगा, इसकी जानकारी जफर अली को दी गई थी और उसके बाद भीड़ जुटी और सर्वे कुछ देर ही हुआ. 24 नवंबर को सर्वे होगा इसकी जानकारी भी सबसे पहले जफर अली को थी और भीड़ जुटाई गई फिर हिंसा हुई.

वहीं शाही जामा मस्जिद के अध्यक्ष जफर अली की गिरफ्तारी पर संभल एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा, “24 नवंबर 2024 को एक विवादित स्थल पर सर्वे हो रहा था जिसमें लोगों ने पथराव और फायरिंग की गई. साजिश के संबंध में एफआईआर (335/24) दर्ज की गई थी. आज शाही जामा मस्जिद के अध्यक्ष जफर अली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. कल देर रात उनसे पूछताछ की गई और फिर धार्मिक काम करने के लिए छोड़ दिया गया. आगे की पूछताछ के बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया.”

जफर अली पर इन धाराओं में केस दर्ज 

जफर अली पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की कई धाराओं 191(2), 191(3), 190, 221, 132, 125, 324(5), 196, 223(b), और 326(F) के तहत आरोप लगाए गए हैं. साथ ही उन पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 3 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 5 के तहत भी आरोप हैं.

विश्व हिंदू परिषद (VHP) के वरिष्ठ मंडल पदाधिकारी जितेंद्र दीपक राठी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, जफर अली पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था. राठी ने आरोप लगाया था कि सर्वेक्षण टीम के संभल का दौरा करने के बाद, स्थानीय मुसलमानों ने विरोध किया और VHP टीम पर हमला किया था.

दरअसल, पिछले साल नंवबर में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए हिंसा के बाद यूपी पुलिस की एसआईटी द्वारा इससे संबंधित छह मामलों में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था.

क्या था पूरा मामला?

बता दें कि 24 नवंबर, 2024 को एएसआई की एक टीम शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंची थी. जहां हिंदूवादी संगठनों की भीड़ “जय श्री राम” सहित कई अन्य नारे लगा रही थी. इस दौरान मस्जिद के बाहर मुसलमान भी जमा थे. जहां पुलिस ने मुसलमानों को हटाने बल का इस्तेमाल किया फिर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों पर गोलियां भी चलाई. पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई में पांच मुसलमानों की मौत हो गई. पुलिस ने मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को “दंगाई” करार दिया और घटना के संबंध में कई मामले दर्ज किए.

‘पुलिस की हिंसा के खिलाफ बोलने वाले लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है’

अब इस मामले में मुसलमानों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले सभी नामी और प्रमुख चेहरे को पुलिस निशाना बना रही है. जो पुलिस की हिंसा के खिलाफ बोलने वाले लोगों में थे उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है.

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