अमेठी (भेटुआ): ग्रामीण इलाकों में मजदूर बेरोज़गारों को मनरेगा के तहत रोजगार देने की व्यवस्था बनाई गई है. जीवन यापन के लिए उनको मनरेगा से काम दिलाने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.
मजदूरों के काम के अधिकार का जेसीबी से हनन किया जा रहा है. भेटुआ ब्लाक में सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए मजदूरों को काम देने के बजाय जेसीबी मशीन लगाकर काम करा दिया गया.
जेसीबी मशीन
इससे नाराज मजदूरों ने जेसीबी से कार्य कराने का हाथ उठाकर विरोध किया. शिकायत पर गांव पहुंचे देर रात पुलिस बल ने जेसबी सहित मोटर साईकल को थाने लेकर चली गयी.
सुल्तानपुर ग्राम पंचायत में मजदूरों का गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब मनरेगा में उनको काम देने के बजाय प्रधान द्वारा अधिकारी की मिलीभगत से रास्ते का कार्य रात में जेसीबी मशीन लगाकर किया जाने लगा.
लाभार्थी किसान से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि उनको इस बारे में तब पता चला जब जेसीबी मशीन द्वारा रात में काम किया जाने लगा.
वहीं जब अन्य ग्रामीण से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गांव में लगतार कई दिनों से मशीन से काम कराया जा रहा है. जिसकी शिकायत आज उप जिलाधिकारी को भी दी गयी.
मनरेगा में काम न मिलने से नाराज करीब दो दर्जन श्रमिकों ने बताया कि देश में फैली कोविड महामारी के चलते हम लोगों को मजबूरन शहर छोड़ना पड़ा और यहां काम न मिलने से एक-एक पैसे के लिए तबाह हैं.
मजदूरों ने बताया कि ग्राम पंचायत सुल्तानपुर के रोजगार सेवक द्वारा जेसीबी मशीन से कार्य कराया जा रहा था. इससे स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत में जेसीबी मशीनों से कार्य कराया जाता है और इसका पैसा निरंतर पंचायत के कमीशन पर जॉब कार्ड लगाकर निकाल लिया जाता है.
इन पंचायतों के मजदूरों ने उप जिलाधिकारी से समूचे मामले में जांचोपरांत दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है.