Zafar Ali released from jail: संभल शाही मस्जिद कमेटी के सदर और एडवोकेट जफर अली आज यानी की शुक्रवार, 1 अगस्त को जेल से रिहा हो गए. बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जफर अली को जमानत दी थी. SIT ने जफर अली को 23 मार्च को गिरफ्तार किया था.
एडवोकेट जफर अली पिछले लगभग चार महीनों से मुरादाबाद जेल में बंद थे. वह 133 दिन बाद जेल से रिहा हुए. जेल से बाहर आने के बाद स्थानीय लोगों ने फूल- मालाओं से जफर अली का स्वागत किया.
सर्वे के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप’
बता दें कि संभल शाही मस्जिद कमिटी के सदर जफर अली पर मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप था. पुलिस ने जफर अली पर भीड़ को भड़काकर दंगा कराने का आरोप लगाया था.
इन धाराओं में केस दर्ज
जफर अली पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की कई धाराओं 191(2), 191(3), 190, 221, 132, 125, 324(5), 196, 223(b), और 326(F) के तहत आरोप लगाए गए. साथ ही उन पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 3 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 5 के तहत भी आरोप थे.
मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप
जफर अली की गिरफ्तारी के बाद स्थानीय लोगों का आरोप था कि इस मामले में मुसलमानों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले सभी नामी और प्रमुख चेहरे को पुलिस निशाना बना रही है. जो पुलिस की हिंसा के खिलाफ बोलने वाले लोगों में थे उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है.
क्या था पूरा मामला?
बता दें कि 24 नवंबर, 2024 को एएसआई की एक टीम शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंची थी. जहां हिंदूवादी संगठनों की भीड़ “जय श्री राम” सहित कई अन्य नारे लगा रही थी. इस दौरान मस्जिद के बाहर मुसलमान भी जमा थे. जहां पुलिस ने मुसलमानों को हटाने बल का इस्तेमाल किया फिर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों पर गोलियां भी चलाई. पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई में पांच मुसलमानों की मौत हो गई थी. पुलिस ने मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को उल्टा “दंगाई” करार दिया और घटना के संबंध में कई मामले दर्ज किए.

