नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा वकीलों की डिग्री वेरिफिकेशन के लिए कमेटी बनाई गई है। इस संबंध में कोर्ट ने सभी वकीलों को ये निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द अपनी डिग्रियों का वेरिफिकेशन कराएं। कोर्ट ने कहा कि जिनके पास वास्तविक डिग्री नहीं है, उन्हें हम असली वकील नहीं मान सकते हैं और ज्यूडिशल सिस्टम में एंट्री नहीं दे सकते हैं।
रॉयल बुलेटिन की खबर के अनुसार, आपको बता दें कि मौजूदा वक्त में लगभग 16 लाख वकीलों ने वेरिफिकेशन के लिए डिग्री और फॉर्म जमा नहीं किया है। कोर्ट ने कमेटी से अपनी सुविधा के हिसाब से काम शुरू करने और 31 अगस्त तक वेरिफिकेशन की रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने सभी यूनिवर्सिटी को भी ये निर्देश दिए हैं कि वकीलों की डिग्री के वेरिफिकेशन के लिए कोई शुल्क न लिया जाए।
कोर्ट ने कहा- जिनके पास डिग्री नहीं, उन्हें न्यायिक प्रक्रिया तक पहुंच नहीं दे सकते।
बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने वकीलों के सत्यापन की प्रक्रिया में आने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, न्यायिक प्रक्रिया तक पहुंच उन व्यक्तियों को नहीं दी जा सकती है जो वकील होने का दावा करते हैं, लेकिन उनके पास वास्तविक शैक्षणिक योग्यता या डिग्री नहीं है।
बार काउंसिल ने कहा- जिन वकीलों ने वेरिफिकेशन फॉर्म नहीं दिया, वे प्रैक्टिस के काबिल नहीं।
पीठ ने वकीलों की संख्या को लेकर कहा, अभी लगभग 25.70 लाख वकील होने का अनुमान है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 25.70 लाख वकीलों में से लगभग 7.55 लाख के फॉर्म वेरिफिकेशन के लिए मिले थे। साथ ही 1.99 लाख सीनियर और ऑन-रिकॉर्ड एडवोकेट्स के फॉर्म काउंसिल के पास हैं।
इस तरह वेरिफिकेशन के लिए लगभग 9.22 लाख फॉर्म आए हैं। लगभग 16 लाख वकीलों ने अभी वेरिफिकेशन के लिए फॉर्म और डिग्री नहीं जमा की है। BCI ने इसे लेकर कहा कि जिन वकीलों ने वेरिफिकेशन फॉर्म नहीं दिए हैं, वे प्रैक्टिस के योग्य नहीं हैं। ऐसे लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें बाहर किया जाना चाहिए।