नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अधिवक्ता एम.एल. शर्मा ने एक फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट के मद्देनजर राफेल लड़ाकू जेट सौदे की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए दावा किया कि एक भारतीय बिचौलिए को डसॉल्ट एविएशन द्वारा 10 लाख यूरो का भुगतान किया गया
प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने एम.एल. शर्मा से कहा कि अदालत याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा, इसमें अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता।
अदालत को अपनी याचिका पर विचार करने के लिए मनाने के प्रयास में, एम.एल. शर्मा ने कहा कि एक दिन आएगा जब प्रत्येक व्यक्ति असहाय महसूस करेगा, कोई भी भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने के लिए आगे नहीं आएगा।
Supreme Court refuses to entertain PIL seeking fresh probe into Rafale deal
Read @ANI Story | https://t.co/cUp3bbASlu#SupremeCourt #Rafaledeal pic.twitter.com/a7I3xdfz30
— ANI Digital (@ani_digital) August 29, 2022
प्रधान न्यायाधीश ने शर्मा से कहा कि अदालत पहले ही याचिका खारिज करने का आदेश पारित कर चुकी है। बाद में शर्मा याचिका वापस लेने के लिए तैयार हो गए, जिसे अदालत ने अनुमति दे दी। शर्मा ने कहा कि वह इस मामले में सीबीआई के पास जाएंगे। शीर्ष अदालत ने कहा, आपको कोई नहीं रोक रहा है।
याचिका में राफेल लड़ाकू विमान सौदे में दस लाख यूरो की कथित रिश्वत को लेकर धोखाधड़ी, विश्वास भंग और आपराधिक साजिश के आरोप में एक कथित बिचौलिए के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।
शर्मा ने इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित एक फ्रांसीसी ऑनलाइन पत्रिका मीडियापार्ट की रिपोर्ट्स का हवाला दिया।
ऑनलाइन जर्नल ने दावा किया कि उसके पास ऐसे दस्तावेज हैं जो राफेल जेट का निर्माण करने वाली डसॉल्ट एविएशन और उसके औद्योगिक साझेदार थेल्स, एक रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म को सौदे के संबंध में हुए लगभग 10 लाख यूरो के भुगतान को साबित कर सकते हैं।
—आईएएनएस

