नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी बात को हाई कोर्ट में रखें।
पीटीआई-भाषा की खबर के अनुसार, बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पर्दीवाला की पीठ ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार किया है।
Joshimath land subsidence | SC refuses to entertain a plea seeking immediate intervention by it to direct Centre to assist in reparation work & providing urgent relief to people of Joshimath
SC permits petitioner to approach U'khand HC with plea to declare it a national disaster pic.twitter.com/xjKcb2NCx6
— ANI (@ANI) January 16, 2023
पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया था इनकार
दरअसल, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भू-धंसाव की एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को यह कहते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया था कि स्थिति से निपटने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार है और सभी महत्वपूर्ण मामले कोर्ट में नहीं आने चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने सरस्वती की याचिका को 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दिया ये तर्क
सीजेआई ने कहा था कि हर महत्वपूर्ण चीज हमारे पास आने की जरूरत नहीं है। इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं हैं। हम इसे 16 जनवरी को सूचीबद्ध करेंगे। वहीं, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की जरुरत है।
याचिका में क्या किया है जिक्र
याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है। संत की याचिका में कहा गया है कि मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत युद्ध स्तर पर रोका जाए।

