सुप्रीम कोर्ट ने सामाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और सांसद आजम खान को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की एक पीठ ने खान को संबंधित अदालत (इलाहाबाद हाई कोर्ट) का दरवाजा खटखटाने और जमानत याचिकाओं के शीघ्र निपटान के लिए अनुरोध करने की इजाज़त दी. पीठ ने कहा, आप जमानत हासिल करने के लिए 32 याचिकाएं कैसे दायर कर सकते हैं? राजनीति को अदालत में ना लाएं.
ईटीवी भारत की ख़बर के अनुसार, खान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके खिलाफ 87 प्राथमिकी दर्ज हैं, जिनमें से 84 मामलों में उन्हें जमानत मिल गई है. उन्होंने खान की ओर से कहा, मैं बिना वजह जेल में बंद हूं. आप ही बताएं मैं कहां जाऊं. मैं अदालत में राजनीति नहीं ला रहा हूं. सिब्बल ने कहा कि लगातार अनुरोध के बावजूद पिछले तीन-चार महीने में जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं की गई.
हिन्दुस्तान खबर के अनुसार, आजम खान ने अपनी याचिका में राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाया था कि वह उनसे संबंधित अदालती मामल़ों की प्रक्रिया आगे बढ़ाने में जानबूझकर देरी कर रही है. इसी वजह से उन्हे अंतरिम जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. आजम खान ने आरोप लगाया कि राज्य की योगी आदत्यिनाथ सरकार का मुकदमों की कानूनी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाने के पीछे का मकसद उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेने से रोकना है.
समाजवादी पार्टी के वरष्ठि नेता खान ने जनवरी में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी. उन पर राज्य में कई आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं और वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं.
गौरतलब है कि उनके बेटे अब्दुल्लाह खान भी कई मुकदमों में करीब दो साल तक न्यायिक हिरासत में जेल में रहें. पिछले दिनों उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद अपने गृह जिला रामपुर पहुंचने पर अब्दुल्ला ने मीडिया को दिए बयान में अपने पिता की जान को खतरा होने का सनसनीखेज आरोप लगाया था.