अंकारा: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा है कि वो नाटो में शामिल होने के लिए स्वीडन को तब तक मंजूरी नहीं देंगे जब तक वहां कुरान जलाई जाती रहेगी। हालांकि नाटो की सदस्यता के लिए फिनलैंड के आवेदन पर एर्दोगन का रुख सकारात्मक है।
एर्दोगन ने बुधवार को संसद में एक संबोधन में कहा, स्वीडन! कोशिश करने की जहमत मत उठाइए। जब तक आप कुरान को जलाने और फाड़ने की अनुमति देते रहेंगे, तब तक हम आपके नाटो में शामिल होने के लिए हां नहीं कह सकते।
उन्होंने कहा, फिनलैंड पर हमारा नजरिया सकारात्मक है, लेकिन स्वीडन के लिए नहीं।
स्टॉकहोम की नाटो बोली के खिलाफ अंकारा की प्रतिक्रिया, नॉर्डिक देश में कुरान जलाने से जुड़े हालिया विरोध प्रदर्शनों की अनुमति के साथ-साथ तुर्की विरोधी समूहों से जुड़े लोगों के प्रत्यर्पण के मुद्दे के बाद आई है।
स्वीडिश पुलिस ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी, जिसमें जनवरी में स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के बाहर एक फार-राइट राजनेता ने कुरान की एक प्रति जलाई।
स्वीडन और फिनलैंड ने मई 2022 में नाटो में शामिल होने के लिए औपचारिक आवेदन दिया था जिसका तुर्की ने विरोध किया था। इसमें अंकारा विरोधी कुर्द संगठनों और राजनीतिक असंतुष्टों के लिए उनके समर्थन का हवाला दिया गया था।
एक महीने बाद, तुर्की, स्वीडन और फिनलैंड मैड्रिड में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन से पहले एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर पहुंचे।
समझौता ज्ञापन के तहत, तुर्की फिनलैंड और स्वीडन द्वारा नाटो की बोलियों पर अपना वीटो उठाने पर सहमत हो गया, इसके बदले में आतंकवाद के खिलाफ अंकारा की लड़ाई का समर्थन करने और आतंकवादी संदिग्धों के लंबित निर्वासन या प्रत्यर्पण अनुरोधों को शीघ्रता और पूरी तरह से संबोधित करने का वचन दिया।
तुर्की की संसद ने अब तक नॉर्डिक देशों की नाटो बोलियों की पुष्टि नहीं की है, यह कहते हुए कि उन्होंने अभी तक अंकारा के अनुरोधों को पूरा नहीं किया है।
—आईएएनएस