यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा, 10 लाख का जुर्माना

नई दिल्ली: टेरर फंडिंग केस में दिल्‍ली की एनआइए कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. हालांकि एनआइए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी. अदालत ने साथ ही मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

इससे पहले एनआइए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत में सजा पर जिरह हुई. यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने के मद्देनजर कोर्ट परिसर में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.

कोर्ट ने दो उम्रकैद की सजा सुनाई

वकील उमेश शर्मा ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि यासीन मलिक को दो आजीवन कारावास समेत 10 अपराधों में 10 वर्ष का कठोर कारावास और 10 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है. उन्होंने बताया कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.

जागरण रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले विशेष अदालत ने 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया था और सजा सुनाने के लिए 25 मई का दिन तय किया था. टेरर फंडिंग मामले में 10 मई को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था. मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उस पर लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है.

‘फांसी मंजूर, नहीं मांगूंगा माफी’

सजा सुनाए जाने से पहले यासीन मलिक ने कहा कि अगर मैं 28 साल में किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं. अगर भारतीय खुफिया एजेंसी यह साबित कर देती है तो मैं भी राजनीति से संन्यास ले लूंगा. मैं फांसी स्वीकार करूंगा, मैं माफी नहीं मांगूंगा. मैंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है. बता दें कि यासीन मलिक के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने फांसी की सजा की मांग की थी.

अनहोनी को लेकर प्रशासन सतर्क

यासीन मलिक को दिल्ली की एनआइए कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद उसके कश्मीर स्थित घर सहित आसपास के इलाकों में एहतियात के तौर पर पुलिस के जवान, सीआरपीएफ और अर्द्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. इसके अलावा यासीन के घर पर नजर रखने के लिए ड्रोन की भी मदद ली जा रही है.

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