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उत्तर प्रदेश: मदरसों पर हो रहे एक्शन पर भड़की पूर्व सीएम मायावती… योगी सरकार को दे दी नसीहत

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश में लगातार हो रहे मदरसों के एक्शन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए योगी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

Mayawati On Madrasas Action: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश में लगातार हो रहे मदरसों के एक्शन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए योगी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश में बीते कुछ दिनों से लगातार मदरसों को अवैध बताते हुए एक्शन लिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार मदरसों के साथ- साथ मस्जिदों सहित ईबातगाहों को अवैध बताते हुए कार्रवाई कर रही है. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सरकार के रवैये पर सख्त सवाल पूछा है.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में कि भारत- नेपाल सीमा के 10 किमी के आपसपास मौजूद सैकडों मस्जिदों और मदरसों पर एक्शन हो चुका है. सरकार के इसी रवैए को देखते हुए मायावती ने सवाल खड़े कर दिए हैं.

मदरसों के एक्शन पर कहा..

मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए सरकार पर निशाना साधा. मायावती ने कहा कि सस्ती और सुलभ व्यवस्था के तहत मदरसों आदि की प्राइवेट व्यवस्था के खिलाफ सरकार का रवैया ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया सहयोग का होने के बजाय उन्हें अवैध बताकर बंद करने का होना बुनियादी शिक्षा की जरूरत को और कमजोर करने वाला गैर-जरूरी व अनुचित है.

शिक्षा व्यवस्था पर खड़े किए सवाल

वहीं इसके साथ ही मायावती ने उत्तर प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में सन् 2023-24 में 1.74 करोड़ दाखिले हुए, किन्तु 2024-25 में मात्र 1.52 करोड़ दाखिला हुआ. इसका मतलब है कि स्कूल दाखिला में लगभग 22 लाख की गिरावट हुई है. जो कि सरकारी स्कूल व्यवस्था की बदहाल, गंभीर व चिन्तनीय स्थिति को सामने लाती है. साथ ही मायावती ने सरकार को शिक्षा के महत्व व जरूरत पर उचित ध्यान की बात की.

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगे कहा कि वैसे तो सरकारी स्कूलों के हालात देश के अधिकतर राज्यों में काफी खराब हैं किन्तु उत्तर प्रदेश व बिहार में यह अति-दयनीय होने से बहुजन गरीब परिवारों का बहुप्रतीक्षित विकास बाधित होकर बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. ऐसे में स्कूल शिक्षा पर ध्यान देकर इन्हें बंद करने के बजाय प्रोत्साहन जरूरी है.

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