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‘UP के हर स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य होगा..’ CM योगी बोले- जिन्ना सोच वालों को दफन कर देंगे

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में आयोजित ‘एकता पदयात्रा’ के दौरान ये घोषणा की. सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय, हर शिक्षण संस्थान में राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' का गायन अनिवार्य करेंगे.

Uttar Pradesh: बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने आज यानी कि सोमवार, 10 नवंबर को कहा कि राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य किया जाएगा. साथ ही कहा कि अगर भारत के अंदर फिर से कोई नया जिन्ना पैदा होने का दुस्साहस करता है, तो उसे हम दफन कर देंगे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में आयोजित ‘एकता पदयात्रा’ के दौरान ये घोषणा की. सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय, हर शिक्षण संस्थान में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ का गायन अनिवार्य करेंगे.

कांग्रेस पर वंदे मातरम का विरोध करने का आरोप

योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली जौहर पर वंदे मातरम का विरोध करने का आरोप लगाया. उन्होंने आगे कहा कि ‘वंदे मातरम‘ के विरोध के कारण ही 1947 में देश का विभाजन हुआ था. कांग्रेस ने यदि वंदे मातरम् की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो भारत का विभाजन नहीं होता.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो भारत का विभाजन नहीं होता.

सीएम योगी ने दावा किया कि बाद में कांग्रेस ने वंदे मातरम में संशोधन करने के लिए एक कमेटी बनाई. 1937 में रिपोर्ट आई और कांग्रेस ने कहा कि इसमें कुछ ऐसे शब्द हैं जो भारत माता को दुर्गा के रूप में, लक्ष्मी के रूप में, सरस्वती के रूप में प्रस्तुत करते हैं, इनको संशोधित कर दिया जाए.

इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर भारत के अंदर फिर से कोई नया जिन्ना पैदा होने का दुस्साहस करता है, तो हमें उसे भारत की अखंडता को चुनौती देने से पहले ही दफन कर देना होगा.

क्या है वंदे मातरम का विवाद?

बता दें कि वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी और इसे सबसे पहले उसी वर्ष 7 नवंबर को प्रकाशित किया गया था. बाद में यह उनके 1882 के उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया. यह गीत भारत को माता के रूप में दर्शाता है और कई छंदों में हिंदू देवी-देवताओं जैसे दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का उल्लेख करता है.

सन् 1937 में फैजपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने राष्ट्रीय अवसरों पर केवल वंदे मातरम के पहले दो छंदों का उपयोग करने का निर्णय लिया. इसका कारण यह था कि नेतागण जैसे जवाहरलाल नेहरू ने तर्क दिया कि बाद के छंद, जिनमें हिंदू देवी-देवताओं का उल्लेख है, मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों के लिए स्वीकार्य नहीं थे.

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