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जब सरकार विफल होती है तो विपक्ष को ‘ईडी परीक्षा’ देनी पड़ती है: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को लोकतंत्र में परीक्षा करार दिया और कहा कि राजनीति में सरकार के विफल होने पर इस परीक्षा को पास करने के लिए विपक्ष की आवश्यकता होती है.

उन्होंने कहा कि जो तैयार हैं वे किसी परीक्षा से नहीं डरते.

अखिलेश यादव ने हिंदी में ट्वीट कर कहा कि ‘ED का मतलब अब ‘Examination in Democracy’ बन गया है. राजनीति में विपक्ष को ये परीक्षा पास करनी होती है. जब सरकार स्वयं फ़ेल हो जाती है तब वो इस परीक्षा की घोषणा करती है. जिनकी तैयारी अच्छी होती है वो न तो लिखा-पढ़ी की परीक्षा से डरते हैं, न मौखिक से… और कभी डरना भी नहीं चाहिए.’

नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी से चल रही पूछताछ के बीच उनकी यह प्रतिक्रिया आई है.

ईडी ने राहुल, सोनिया को तलब किया:

द डेली सियासत रिपोर्ट के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में 23 जून को पेश होने के लिए नया समन जारी किया.

एजेंसी ने ताजा समन जारी किया क्योंकि सोनिया गांधी 8 जून को कोविड-19 के कारण जांचकर्ताओं के सामने पेश नहीं हुईं थीं. कांग्रेस नेता को 1 जून की शाम को हल्का बुखार हुआ था और अगली सुबह वह कोविड पॉजिटिव पाई गई थीं.

इससे पहले 1 जून को, ईडी ने सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में 8 जून को जांचकर्ताओं के सामने पेश होने के लिए तलब किया था, जबकि उनके बेटे और पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी को 13 जून को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था. इस मामले में राहुल गांधी से लगातार 3 दिन से पूछताछ हो रही है.

बता दें कि नेशनल हेराल्ड का मामला 2012 में चर्चा में आया था. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया है.

YIL के प्रमोटरों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं. स्वामी ने आरोप लगाया था कि गांधी परिवार ने धोखाधड़ी की और धन का दुरुपयोग किया, YIL ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान करके 90.25 करोड़ रुपये की वसूली का अधिकार प्राप्त किया, जो कि AJL पर कांग्रेस का बकाया था.

कांग्रेस ने तर्क दिया था कि कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत YIL एक गैर-लाभकारी कंपनी थी जो न तो लाभ जमा कर सकती है और न ही अपने शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान कर सकती है.

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