ईद का पैग़ाम- ‘जो अल्लाह से डरता है उसे दुनिया में किसी और से डरने की ज़रूरत नहीं है’: अमीनुल हसन, उपाध्यक्ष, जमाअत इस्लामी हिन्द

नई दिल्ली: देशभर में 3 मई को ईद-उल-फितर बड़ी धूमधाम और जोश-ओ-ख़रोश के साथ मनाई गई. दिल्ली के मस्जिद इशाअते इस्लाम में ईद का खुत्बा जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष अमीनुल हसन ने दिया.

ईद के ख़ुत्बे में उन्होंने मुसलमानो से कहा कि देश की मौजूदा हालात से घबराने के बजाये लोगों के बीच इस्लाम और कुरआन के पैग़ाम को बताने की जरुरत है. लोगों को इस्लाम का सही मतलब और संदेश बताने की ज़रूरत है.

उन्होंने अपने ख़ुत्बे में कहा कि मुसलमानों को तक़वा इख्तियार करनी चाहिए. तक़वा इख्तियार करने से दिल में अल्लाह का खौफ और डर पैदा होता है. तक़वा इख्तियार करने से वह गुनाहों से बचता है और जो शख्स तक़वा इख्तियार कर लेता है वह फिर किसी से नहीं डरता.

उन्होंने कहा कि जो अल्लाह से डरता है, वह पूरी दुनिया में किसी से नहीं डरता है इसलिए मोमिन मुसलमानों को चाहिए कि वह दुनिया के लोगों से न डरें बल्कि अल्लाह से डरें, हालात चाहे जैसे भी हों.

उन्होंने कहा कि अगर एक महीने रोज़े रखने, नमाज़ और क़ुरआन पढ़ने के बाद भी मुसलामन खौफ और डर का शिकार हैं तो इसका मतलब यह है कि अभी हमारे अंदर तक़वा पैदा नहीं हुआ है. तक़वा ये है कि अल्लाह से डरना है और जो अल्लाह से डरता है उसे दुनिया में किसी और से डरने की ज़रूरत नहीं है.

ईद-उल-फितर की नमाज़ का तरीका बताते हुए उन्होंने ईद की नमाज़ पढ़ाई और उसके बाद खुत्बा दिया. उन्होंने अपने ख़ुत्बे में ईद का मतलब बताया और ईद में गरीबों और बेसहारा लोगों को भी शरीक करने की नसीहत की.

यह मस्जिद इशाअते इस्लाम मरकज़ जमाअत इस्लामी हिन्द के मुख्य कैंपस में है और यहां पर भी ईद की नमाज़ अदा की गई.

ईद के मौके पर यहां नमाज़ियों की तादाद बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. इस मस्जिद में मर्दों के साथ-साथ औरतों के लिए भी नमाज़ अदा करने के लिए अलग इंतेज़ाम किया गया था.

इस बार तकरीबन 15000 हजार मर्दों और औरतों ने मस्जिद इशाअते इस्लाम में ईद-उल-फितर की नमाज़ अदा किया.

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