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‘सख्ती सिर्फ मुस्लिम नौजवानों पर क्यों?’ UP पुलिस की कार्रवाई पर असदुद्दीन ओवैसी भड़के, जानें पूरा मामला

फिरोजाबाद जिले के थाना उत्तर इलाके में ईद-ए-मिलाद उन नबी के जुलूस के बाद कुछ मुस्लिम युवक वापस लौट रहे थे. जहां पुलिस ने 33 मुस्लिम युवकों को गैरपरम्परागत रास्ते से वापस जाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

Asaduddin Owaisi On UP Police: उत्तर प्रदेश पुलिस पर पिछले कुछ समय से मुसलमानों को निशाना बनाकर कार्रवाई करने के आरोप लगते रहे हैं. इसी बीच फिरोजाबाद जिले में बारावफात यानी कि ईद-ए-मिलाद उन नबी के जुलूस के बाद गैरपरम्परागत रास्ते से वापस जाने पर 33 मुस्लिम युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही पुलिस ने हुड़दंग मचाने के आरोप में 14 मोटरसाइकिलें भी सीज की. पुलिस की इस कार्रवाई पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की सख्ती सिर्फ मुसलमान नौजवानों के खिलाफ दिखाई देती है.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि फिरोजाबाद जिले के थाना उत्तर इलाके में ईद-ए-मिलाद उन नबी के जुलूस के बाद कुछ मुस्लिम युवक वापस लौट रहे थे. जहां पुलिस ने 33 मुस्लिम युवकों को गैरपरम्परागत रास्ते से वापस जाने और हुड़दंग मचाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. यह कार्रवाई थाना उत्तर, दक्षिण, रामगढ़ और रसूलपुर पुलिस की संयुक्त टीम ने वीडियो फुटेज के आधार पर की.

पुलिस ने क्या कहा?

फिरोजाबाद के नगर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि वीडियो साक्ष्यों के आधार पर चिह्नित कर हुड़दंग करने वालों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करते हुए विभागीय जांच सौंप दी गई है.

ओवैसी ने यूपी पुलिस पर उठाए सवाल

इस घटना पर असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यूपी पुलिस की सख्ती सिर्फ मुसलमान नौजवानों के खिलाफ दिखाई देती है. सिर्फ जुलूस के रास्ते से भटकने के “जुर्म” में इन लड़कों की तस्वीरें और वीडियो बनाकर इन्हें जलील किया जा रहा है.

AIMIM सांसद ओवैसी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अप्रैल में कानपुर के एक समुदाय के जुलूस के दौरान मुसलमानों की दुकानों को निशाना बनाया गया था, तब ऐसा वीडियो क्यों नहीं बनाया गया?

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी लखनऊ जिला प्रशासन को उन लोगों के होर्डिंग हटाने का आदेश दिया था जिनसे प्रशासन ने वसूली का नोटिस जारी किया था. अदालत ने कहा था कि इस तरह की हरकत बुनियादी निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

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